सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/७१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४३१
अंगरेजों की साम्राज पिपासा

४३१ अंगरेजों की साम्राज्य पिपासा लया जाय और इंगलिस्तान की पार्लिमेण्ट के मातहत कर दिया जाय, जान बूझ कर वायरलेड में सशस्त्र विद्रोह आयरलैण्ड की खड़ा कर दिया। प्रसिद्ध अंगरेज़ विद्वान डब्ल्युक स्वाधीनता का टो० स्टेड ने उस समय के ऐतिहासिक लेखों अपहरण में सावित किया है कि आयरलैंड का सन् १७६८ का विद्रोह ब्रिटिश सरकार का उकसाया हुआ था और आयरलैंड की स्वाधीनता छीनने के उद्देश से किया गया था। स्टेड यह भो लिखता है कि जिन उपायों से इंगलिस्तान के शासकों ने श्रायरलैंड की स्वाधीनता छीन कर उसे इंगलिस्तान की पार्लिमेण्ट के मातहत किया, उनमें एक उपाय आयरलैंड की स्त्रियों के साथ "वरोक टोक बलात्कार" ("Free-1ape') भी था । ये उपाय थे जिनके ज़रिये 'ब्रिटेन' का नाम 'ग्रेट ब्रिटेन' रक्खा गया। मार्किस वेल्सली ने २ अक्तवर सन् १८०० ई० को कलकत्ते से ___अपने एक मित्र के नाम पत्र लिखा जिसके नीचे भारत में माकिस लिखे वाक्य से उसके और कम्पनी के दोनों के वेल्सली का भारतीय शासन के उद्देश का साफ़ पता चलता है। इस पत्र में वेल्सली ने लिखा:- "xxx मै बादशाहतों के ढेर लगा दूँगा और फतह पर फ़तह तथा मालगुजारी पर मालगुजारी लाद दूंगा ! मैं इतनी शान, इतना धन और इतनी सत्ता इकष्टी कर दूंगा कि एक बार मेरे महत्वाकांक्षी और धनलोला मालिक भी 'नाहि त्राहि' चिल्लाने लगेंगे।xx xse __* na]] can Kingdoms upon Kingdoms, victory upon victor