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पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/३२

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भाव-विलास

 

दोहा

स्तंभ, स्वेद, रोमांच, अरु, वेपथु अरु स्वर भङ्ग।
बिवरनता, आँसू, प्रलय, ये सात्विक रस अङ्ग॥

शब्दार्थ—अरु—और।

भावार्थ—स्तम्भ, स्वेद, रोमाञ्च, वेपथु, स्वरभङ्ग, वैवर्ण्य, आँसू, और प्रलय ये आठ सात्विक भाव हैं।

१—स्तम्भ
दोहा

रिस बिस्मय भय राग सुख, दुख बिषाद तें होय।
गति निरोध जो गात मैं, तम्भु कहत कवि लोय॥

शब्दार्थ—रिस—क्रोध। बिस्मय—आश्चर्य। गति निरोध—गति का रुकना। गात—शरीर। तम्भु—स्तम्भ। लोय—लोग।

भावार्थ—क्रोध, आश्चर्य, भय, सुख, दुख आदि कारणों से, शरीर के अवयवों की गति का जो निरोध होता है उसे कवि लोग स्तम्भ कहते हैं।

उदाहरण
दोहा

गोरी सी ग्वालिन थोरी सी बैस, जगी तन जोबन जोति नई है।
आवत ही अबही उततें, कविदेव सुनैंकु इतें चितई है॥
योहि कटाछनु मोहि चितौतु, चितौतहि मोहन मोहि लई है।
व्याध हनी हरिनी लौं बधू, वह वा घर लौं भिहराति गई है॥