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पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/४२

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भाव-विलास

 

उदाहरण
सवैया

गोकुल गाँव की गोपबधू बनि, कै निकसीं उर दै दै बुलायो।
सोरही साज सिंगार सबै, बन देखन को बहु भेप बनायो॥
राधिका के हिय हेरि हरा, हरि के हिय कौ पिय को पहिरायो।
सती तहाँ तियती तिन भौतिन, मोतिन सों तिनको वन तायो॥

शब्दार्थ—सिंगार—शृंगार। हेरि—देखकर।

५—मद
दोहा

सो मद जहँ आसव पिये, हर्ष होत हिय बीच।
नीद हास रोदन करैं, उत्तम, मध्यम, नीच॥

शब्दार्थ—आसव—मदिरा। हिय बीच—हृदय में। हास—हँसी। रोदन—रोना।

भावार्थ—मद्यपान करने के कारण, हर्षित होने, सोने, हँसने तथा रोने आदि की वृत्तियों को मद कहते है।

उदाहरण
सवैया

आसव सेइ सिखाये सखीन के, सुन्दरि मन्दिर मैं सुख सोवै।
सापने मैं बिछुरै हरि हेरि, हरैंइ हरैं हरनी द्दग रोवै॥
देव कहै उठि के बिरहानल, आनंद के अंसुवान समोवै।
आजुही भाजि गई सब लाज, हँसै अरु मोहन को मुख जोवे॥