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पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/११६

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भाषाओं का वर्गीकरण ९१ ब्रह्मा और उत्तरी-पूर्वी आसाम में बोली जाती हैं। उनमें से शान, अहोम और खामती मुख्य हैं । शान उत्तरी वर्मा में फैली हुई है । अहोम वास्तव में शान की ही विभाषा है-उसी से निकली एक विभाषा है। इस तिव्वत्त-चीनी (अथवा चीन-किरात) परिवार के दो बड़े स्कंध हैं-स्याम चीनी और तिब्बती-वर्मी ! स्याम-चीनी स्कंध के दो वर्ग हैं...-चैनिक (Simitic) और तई (Tai) | स्याम-चीनी स्कंध चैनिक वर्ग की भापाएँ चीन में मिलती हैं । स्यामी लोग अपने को तई अथवा थई कहते हैं। उन्हीं का दुसरा नाम शाम या शान है। हिंद-चीनी प्रायद्वीप में तई अथवा शान जाति (नस्ल ) के ही लोग अधिक संख्या में हैं । आसाम से लेकर चीन के क्वाङसी प्रांत तक आज यही जाति फैली हुई है । इन्हीं के नाम से ब्रह्मपुत्र का अहोम नामक काँठा 'आसाम', में नाम का काँठा 'स्याम' और धर्मा का एक प्रदेश शान कहलाता है । अहोम बोली के अतिरिक्त आसाम के पूर्वी छोर और बर्मा के सीमांत पर खातमी नाम की बोली बोली जाती है । तई वर्ग की यही एक बोली भारत में जीवित है। उसके वक्ता पाँच हजार के लगभग होंगे । तिव्वत और बर्मा ( म्यम्म देश ) के लोग एक ही नस्ल के हैं और उस नस्ल को जन-विज्ञान और भाषा-विज्ञान के प्राचार्य तिब्बत-बर्मा कहते हैं । भाषा के विचार से तिब्वतन्वी भाषा- तिम्चत-बर्मी स्कंध विशाल तिव्वत्त-चीनी परिवार का आधा हिस्सा है। इसी तिब्बत-वर्मी स्कंध का भारतवर्ष से विशेष संबंध है । उसकी तीन शाखाएँ प्रधान हैं--(१) तिब्बत-हिमालयी, (२) आसा- मोत्तरी (उत्तर-आसामी) तथा (३) आसाम-वर्मी ( या लौहित्य ) । तिब्बत-हिमालयी शाखा में तिब्बत की मुख्य भाषाएं और बोलियाँ तथा हिमालय में उत्तरी आँचल (उत्तरांचल ) की कई छोटी छोटी भोटिया बोलियाँ मानी जाती हैं । लौहित्य या आराम-बर्मी शाखा के नाम से ही प्रकट हो जाता है कि उसमें वर्मी भाषा तथा