सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ १६७ ] तेग या तिहारी मतवारी है अछक तौ लौं जौ लौं गजराजन को गजक' करै नहीं ॥ १४ ॥ जा दिन चढ़त दल साजि अवधूतसिंह ता दिन दिगंत लौं दुवन दाटियतु है। प्रलै कैसे धाराधर धमकै नगारा धूरि धारा ते समुद्रन की धारा पाटियतु है ।। भूपन भनत भुवगोल को कहर तहाँ हहरत तगा जिमि गज काटियतु है। काँच से कचरि जात सेस के असेस फन कमठ की पीठि पै पीठी सी बाँटि- यतु है ।। १५ ॥ वुद्धसिंह इन्हीं अनिरुद्धसिंह के पुत्र थे। औरंगजेब के मरने पर उसके पुत्र मुअज्जम ( बहादुर शाह ) और आजम में राज्यार्थं जाजऊ पर घोर युद्ध हुआ था। उसमें राव वुद्धसिंह मुअज्जम को ओर थे। इसो दिन इन्हें रावराजा की उपाधि मिली। जैपुर के राजा जैसिंह ने अंत में राव बुद्ध का राज्य छीन लिया था, परंतु इनके पुत्र उमेदसिंह ने फिर उसे प्राप्त कर लिया। १ शरावी लोग जो शराब के साथ थोड़ी सी नमकीन या चटपटो गिजा खाते हैं, वहो गजक है। यह छंद छत्रसाल दशक से आया है। २ ये सन् १७०० से १७५५ तक रीवाँ के शासक रहे और केवल छ महीने को अवस्था में गद्दी पर बैठे थे। इनका राज्य बुंदेलों ने दो तीन बार जीता था, किन्तु अंत में ये उसे कायम रख सके। ३ मेघ । ४ तागा, डोरा। ५ पूर्णोपमा, संबंधातिशयोक्ति ।