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पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/४८

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[ ३९. J झगड़ों से निशेःप हो गया। मुग़लों के इस घरेल, बरखेड़े के कारण उनकी शक्ति बहुत मंद पड़ गई थी और अच्छा समय था कि मरहठे अपना बल बढ़ाते, परंतु साहजी स्वयं लड़कपन से मुग़लों के यहाँ रहा था, अतः वह बड़ा आलसी और आराम पसंद था। यह समझ पड़ने लगा कि महाराष्ट्र शक्ति घरेल झगड़ों और अकर्मण्यता के कारण नष्ट हो जायगी, परंतु इसी समय ( १७१२ ई. में) भाग्यवश साहूजी ने बालाजी विश्व- नाथ को अपदा पेशवा (प्रधान मंत्री) बनाया । ये महाराज बड़े ही बुद्धिसंपन्न व्यक्ति थे और हर बात में प्रवीण थे। इन्हीं के प्रयत्नों से महाराष्ट्र शक्ति मुग़लों के अधःपतन के साथ ही साथ ऐसी बढ़ी कि मरहठों का पूरा साम्राज्य स्थापित हो गया। इन्होंने सन १७१६ ई० के लगभग दिल्ली पर आक्रमण करके बादशाह फर्मखसियर को पदच्युत किया और दूसरे बादशाह को गद्दी पर बैठाया । इनके गुणों और कर्मों से मोहित होकर साहूजी ने पेशवा का पद इनके वंश में स्थिर कर दिया । पेशवा बालाजी विश्वनाथ सन् १७२० ई० में स्वर्गवासी ए और बाजीराव पेशवा नियत हुए।