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पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३१

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मनुस्मृति ०१ ( २८ ) भाषानुवाद नियुक्तापुत्र के भाग, भ्रातृस्त्री का धनादि सन्तान होने पर उसे ही दे देना आदि १४२-१४७ "मामवर्ण,विवाहनिन सन्ताने के मागादि प्रक्षिप्त १४८-१५८ १२ प्रकार के पुत्र उनके भाग, औरस पुत्र की बड़ाई, कुपुत्रनिन्दा औरसादि १२ पुत्रों के लक्षणादि १५९-१८५ भाइयों में १ को सन्तान से सब का सपुत्रत्व, कई स्त्रियों में एक के पुत्र हो तो सब का सपुत्रत्व पत्रों में नीचीनत्व से भागभेद, अपुत्र के मरने पर दाय भागी, किस अपुत्र का दाय राजा ले पुत्रों के भाग विवाद में निर्णय, स्त्रो मरण पर मर्ता का धन हो १८२-१९६ स्त्री धन के निर्णय, स्त्रियों के आभूषणको न घाटना दाय भाग के अनधिकारी माता पिता और भाइयों के माग भस्वादि कई वस्तु बाटने योग्य नही १९७-२०० धून भोर समाजय का मेद घूनादि क्रोडकों, रिश्वत खोगे छल से शासन करने वालों प्रजादूषकादिको को दण्ड, अपील नामन्जूर करना, मन्जूर करना, अन्यायपूर्वक निर्णयकारी अमात्यादि को दरह और मुकदमा फिर से करना, ब्रह्महत्यारे आदि ४ नहा पाकियों को दण्ड, उस दण्ड धन को राजा क्या करे, प्राहाणों के बधक का निग्रह अवभ्य वधादि से राजा को बचाना २२१-२५० राजा को न्यायपूर्वक प्रबारक्षा करते हुये राजवृद्ध आदि उपाय प्रकाश और अप्रकाश दो प्रकार के तस्कर उन का पतालगा कर शासन सभा, प्याऊ, चौराहे आदि पर चौकी पैठाना, पहा के तस्करों को