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पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/२४८

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२२२
महाभारतमीमांसा

२२२ है महाभारतमीमांसा - रीति मिन्ध और दासियोंके लायक मानी कि परपुरुषसे उपभुक्त स्त्री विवाहके जाती थी । सब भारती प्रायोंमें पुन- योग्य नहीं होती। यह प्रकट है कि विवाह- र्षिवाह न होता था । यदि पति जीवित की शुद्धताके सम्बन्धमें अधिकाधिक जाँच हो और उसमे छोड़ दिया हो या पति मर होगी। अतएव, इसमें आश्चर्य नहीं कि गया हो तो भी आर्य स्त्रियाँ दुसरा पति ' भारती आर्योमें उपभुक्ता स्त्री विवाह- नहीं करती थीं। ' सम्बन्धके लिए दूषित मानी जाती थी। पुनर्विवाहकी मनाहीका और भी एक इसी धारणाके कारण हमारे धर्मशास्त्रमे कारण है। भारती आर्यों में विवाहके सम्ब- एक प्रकारसे निश्चय कर दिया कि न्धमें एक शर्त यह थी कि विवाहके विवाहके योग्य कन्या ही है । गृह्यसूत्रमें समय बधू कन्या यानी अनुपभुक्ता होनी कन्याके ही सम्बन्धमें वचन हैं और चाहिये । वे उपभुक्ता स्त्रीको विवाहके महाभारतमें भी कहीं गतभर्तृका स्त्रीके योग्य नहीं समझते थे। महाभारतमें एक ' पुनर्विवाह होनेका प्रत्यक्ष वर्णन नहीं स्थान पर स्पष्ट कह दिया है कि भुक्तपूर्वा पाया जाता । अर्थात् महाभारतके समय स्त्रीको ब्याहना पातक है । अर्जुनके । आर्योंमें पुनर्विवाहकी गति प्रशस्त न प्रतिज्ञा करनेका वर्णन है कि जो मैं कल थी और विवाहमें वधूके अनुपभुत होने- शामतक जयदथका वध न करूँ तोचिता-! का नियम था। में जल मरूँगा । उस प्रतिज्ञाके समय । उसने जो अनेक सौगन्दे खाई है, उनमें प्रौढ़-विवाह । एक सौगन्द यह भी है कि-"भुक्तपूर्वां: इस पर यह कहा जा सकता है कि त्रियं ये च विन्दतामद्यशान्तिनाम।" भुक्त- महाभारतके समय लड़कियों का विवाह पूर्वा स्त्रीसे विवाह करनेवाले पुरुषोंको । बचपनमें ही हो जाता होगा। किन्तु जो लोक मिलते हैं, वे मुझे प्राप्त हों। असल बात इसके विपरीत है। महा- अर्थात् महाभारतके समय लोगोंकी यह भारतमें विवाहकं जितने वर्णन पाये जाते प्रारम्भ थी कि जो स्त्री पुरुषसे सहवास : हैं, सभीमें विवाह के समय कन्याएं. उपवर कर चुकी हो वह विवाहके अयोग्य है: ' अर्थात् प्रौढ़ दशाम श्रा गई हैं । स्वयंवरके उसके साथ जो विवाह करे वह पापी बुरे : समय द्रौपदीका जो वर्णन है उससे, उस लोकों में जाता है। उपभुक्त स्त्रियोंका पुन- समय, उसका बड़ा होना स्पष्ट है । विवाह उस समय निन्द्य समझा जाता था। कुन्नीको तो, विवाहसे पहले ही, लड़का हो महाभारत-कालके पश्चात् भी स्मृतिशास्त्रों- चुका था। अर्जुनने जिस समय सुभद्रा- में आजतक ऐसा ही नियम विद्यमान है।। का हरण किया, उस समय उसकी पूरी (यहाँ एक प्रश्न यह होता है कि उस अवस्था हो चुकी थी। उत्तराका वर्णन समय ऐसी लड़कीका पुनर्विवाह होता भी ऐसा ही है। अधिक क्या कहा जाय, था या नहीं जिसका विवाह तो हो चुका विवाह होने पर महीने दो महीने में ही हो, परन्तु जो अनुपभुक्ता यानी क्वाँरी हो? | उसके गर्भ रह गया और छठे-सातवें इसका विचार आगे किया जायगा।)! महीनेमें-भारती युद्ध समाप्त होनेके साधारण रीतिसे सब क्षत्रियोंमें और अनन्तर-उसके परीक्षित हुआ । यह अपने वर्णका अभिमान रखनेवाले लोगोंमें अभिमन्युका पुत्र था। ऐसी अनेक स्त्रियों के इस प्रकारकी कल्पना होना साहजिक है वर्णनसे स्पष्ट देख पड़ता है कि प्राचीन