पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२५९

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के wि , ॐ शाॐ ॐ ॐ हुए अं है. कुससे झुकको कविता- १४८० से अश्य झलमा अहिर है इनके फट्स कथा छंद अंश सरह में शुरू नानक दे इसे ॐ १ नासक के अर्नी ॐ संवा १०४८ का हिस्हड़ हुई इन्ध क है ॐि ॐ ज ॐ सिल्टा है । इस्ले मर्जी ॐ बन्छ, नामदेवी का पद, और राम मोरङ : शुद्ध नाइक-ॐछ अन्डरस्ट हैं। इन्होंने दो और भजन टङ्क कई हैं । इन्न : इस हैं, जो र आइल के दशा में हित है ! इन कवितः इस अष्ट्र के प्रश्न . अमिअवर हारे रडू अलैह के उद्दल * काल रवि द्रा' को पनि ब्लोळ जइ छवि : कट भान जाके न झी को झड्डा भयो झर इंप रे । सर समझ जाकें अन्न निकाल्दा कई अन्य जरूर छैने मरै १ . ५५

  • महाशय ग्र सिद्ध महन्छ मझे जाते हैं । अहं ॐ के ।

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