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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७७ चक्र सुनकर मेरी बात बैल ने कहा दुख से भरकर ग्राह- "इस अनाथ, असहाय कृषक का होगा फिर कैसे निर्वाह ?" नाम-(४४०६ ) युगलसिंह एम० ए०, एल-एन० बी०, बीकानेर। विवरण- [~-आप राजपूत ठाकुर और हिंदी, संस्कृत तथा अँगरेज़ी के विद्वान हैं। आप इस समय नोबल-हाईस्कूल के हेडमास्टर हैं। प्रायः गद्य लिखा करते हैं। नाम- -(४४०७ ) रामकुमारजी मिश्र, अलवर । विवरण- --आप अलवर-इतिहास-कार्यालय के प्रधान पंडित हैं। श्राप संस्कृत तथा हिंदी के प्रौढ़ लेखक होने के अतिरिक्त शाशुकवि भी हैं। [यह कवि महाशय हमें पं० भावरमल्लजी निवेदी, जसरापुर द्वारा ज्ञात हुए हैं ] नाम-( ४४०८) विश्वेश्वरदयाल मिश्र विशारद, श्रागरा। विवरण-श्राप पं० लल्लूमलजी मिश्र के पुत्र हैं। आगरे की नागरी-प्रचारिणी समिति के श्राप प्रमुख सदस्य हैं। 'चतुर्वेदी'- पत्रिका का आपने कई वर्षों तक संपादन किया। नाम--( ४४०६) शालग्राम द्विवेदी विशारद, जबलपुर । जन्स-काल-लगभग सं० १९५२ । ग्रंथ-~~(१) समर-सखा (अँगरेजी-पुस्तक से अनुवादित ), (२) कौटिल्य का अर्थशास्त्र । पाठशालोपयोगी पुस्तके--- (१) नवीन पत्र-प्रकाश, (२) मिडिल - स्कूल - पत्र - लेखन, (३) विराम-चिह्न, (४) व्याख्या-विधान, (१) प्राथमिक रचना- शिक्षक, (६) मिडिल-स्कूल-रचना-शिक्षक इत्यादि । विवरण- -यह कान्यकुब्ज-वंशोत्पन्न हैं। कुछ काल तक 'श्रीशारदा' के उप-संपादक तथा शारदा-पुस्तकमाला के संपादक रह चुके हैं।