पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६०
६०
मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद i ग्रंथ-नेह-तरंग ( नायिका-भेद)। विवरण-वादशाह बहादुरशाह के साथ आपकी मित्रता थी। दिल्ली के शाही दरवार से श्रापको 'रावराजा' की पदवी प्राप्त हुई थी। नाम-(६३° ) तिलोकराम, ग्राम मेडला (मारवाड़)। रचना-काल-सं० १७६७ । ग्रंथ--रस-प्रकाश-भावदीपक । उदाहरण-(ग्रंथ के अंतिम दोहे ) औरौ ग्रंथनि में करयौ, सुमति दृष्टि अवलोक चहे रीति रस रीति की बानीदासतिलोक} सतरह से अरु सतसढ़ें, शुकल भाद्रपद मास; तिथि द्वितिया मंगल भए, भयो रहस्य विलास । नाम-(६३५) हेमराज । ग्रंथ-प्रवचन-सार-सिद्धांत । रचना-काल-सं० १७६१ । विवरण--ग्रंथ में तत्व-ज्ञान-विषयक विचारों का वर्णन है। नाम-(६) गोवर्द्धन । अंथ-(१) मधुमालती, (२) मैनासत, (३) कोयल सुवा को प्रसंग। रचना-काल-सं० १७७२ । विवरण----ग्रंथ की भाषा मालवीय है। नाम--(६) पूरण । ग्रंथ-ढोला मारू की कथा । रचना-काल-सं० १७७२ । नाम-(६) उमापतिजी ( कवीश्वर)।