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पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/२८५

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राजा साहब की पतलून २७५ का रिहर्सल किया, यानी पतलून को एक वार पहनकर देखा। परन्तु पतलून फिट नहीं हुआ। उसमें एक सल पड़ता था। राजा साहब को त्योरियों में बल पड़ गए। उन्होंने रियासत के सब दजियों को और उनके उस्तादों को तलब किया और कहा----इस पतलून का यह नुक्स दूर करो। यह क्या वात है कि जब हम पतलून पहनते हैं तो इसमें एक सल पड़ता है ?-दजियों और खलीफानो ने देखभाल कर सलाह की और सबने एकमत होकर कहा-अन्नदाता, यह हमारे बूते का काम नहीं है। यह नुक्स तो वही कारीगर दूर सकता है जिसने इसे सिया है। हम तो सरकार इसे छूने का भी साहस नही कर सकते । सारा बना-बनाया काम चौपट हो गया। राजा साहब बौखला उठे। अव कल हम भरे दरवार में यह पतलून पहनेंगे और इसमें सल पड़ेगी तो लोग क्या कहेगे ? नहीं नहीं, यह नहीं हो सकता। इस नुक्स को दूर करना होगा। उन्होंने प्राइम मिनिस्टर को तलब किया और उन्हें हुक्म दिया, दरबार कल नहीं हो सकता, उसे अनिश्चित काल के लिए मुल्तवी कर दीजिए, और बम्बई को तार दे दीजिए कि वह कारीगर जिसने पतलून सी है हवाई जहाज से तुरन्त यहा आए। दरबार मुल्तवी हो गया। परन्तु नाच, रंग, खाना-पीना, मुजरा, शिकार चलता रहा। कारीगर हाजिर हो गया। परन्तु राजा साहब ने जो शेर के शिकार का प्रोग्राम बनाया तो १२ दिन तक उससे मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली। वारह दिन बाद उन्हें एकाएक याद आया। उन्होने सेक्रेटरी से पूछा-वह कारीगर आया? 'जी सरकार हाज़िर है।' 'तो सवारी राजधानी को चले । शिकार के सब प्रोग्राम मौकूफ ।' सवारी महलों में लौटी। कारीगर रूबरू हाजिर हुना। राजा साहब ने पतलून पहनकर दिखलाई । उस सल की ओर उन्होंने संकेत किया। कारीगर ने क्षण भर देखा, मुस्कराया, और जेब से कैची निकालकर एक-एक बटन काट लिया और उसे दौ-भर खिसकाकर टांक दिया । पतलून फिट बैठ गई। नुक्स दूर हो गया! राजा साह्य सुशी से वाग-बाम हो गए कारीपर ने बिल पेश किया ! कुर