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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३९

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कांग्रेस तथा खिलाफत की सविनय अवज्ञा जांच समिति के वकोल सदस्यों को हाईकोर्ट को इमारत में बने हुए वकीलों के कमरों में अपना अतिथि बनाया और रजिष्ट्रार के द्वारा दी गयी बीफ जस्टिस ( प्रधान न्यायाधीश ) की धमकियों का दृड़ और खाभिमानयुक्त उत्तर दिया । इन सब बातों से वकीलों के सम्मान और कीर्ति की वृद्धि होगी । इतना होते हुए भी यह सत्य है कि कुछ वकोलों, खासकर ऊंवे दर्जे के वकीलों ने असहयोग के सिद्धान्त तथा कार्यक्रम से अपनी असम्मति प्रगट की है और कुछ ने उसका प्रत्यक्ष विरोध किया है ।

असहयोग के कार्यक्रम में वकीलों का स्थान

जिस सिद्धान्त पर अदालतों का बहिष्कार आश्रित है वह बिलकुल निर्दोष है, किन्तु विवश होकर यह कहना पड़ता है कि कार्य में परिणत किये जाते समय उसका अवांछित प्रयोग किया गया है । जिन वकीलों ने वकालन नहीं छोड़ी है, यदि वे कांग्रेस का ध्येय स्वीकार करते हैं तो इसमें कोई सन्दह नहीं कि वे इस संस्था के अन्तर्गत सभी विभागों में सम्मिलित होने के एवं निर्वाचनाधिकार के स्वतन्त्र प्रयोग द्वारा चुने जाने पर पदोपर भी नियुक्त होने के पूरे पूरे अधिकारी हैं । राष्ट्रीय सभाने उनके लिये कोई रुकावट नहीं रखी है । हां, महात्मा गान्धी ने अवश्य उन्हें पर्दे के पीछे अप्रगट रूप से भाग लेकर ही सन्तुष्ट रहने का उपदेश दिया था । अधिक उत्साही