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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१८४

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सत्याग्रहकी मीमांसा


की वाधा नहीं पड़ती थी। उस समय दक्षिण अफ्रिकाके प्रधान शासक जनरल स्मट्स थे। आठ वर्षतक उन्हें कड़ी आंच में तपना पड़ा था। पर अन्तमें उन्होंने यही कहा था :-यदि प्रत्येक प्रजाका इन्हीं सत्याग्रहियोंकासा आचरण हो जाय तोभी डरनेकी काई बात नहीं है।

प्रश्न--पर जिस प्रकारकी प्रतिज्ञा आपके इस सत्याग्रह अन्दोलनमें है उसका वहां कहीं चर्चा तक नही थी ?

उत्तर-ठोक यही बात वहां भी थों। प्रत्येक सत्याग्रही- को इस बातको प्रतिज्ञा करनी पड़ती थी कि वह ऐसे किसी भी नियमको स्वीकार नहीं करेगा जिनको वह न्यायशून्य और अनुचित समझता है पर जा फौजदारी कानूनकी ध्वनि नही रखते और इसीक द्वारा वह सरकारको अपने सामने भुका देगा ।

प्रश्न-सत्याग्रहकी प्रतिज्ञामे यही लिखा है न, कि केवल उन्ही कानूनोंका तोड़ा जायगा जिनके तोड़नेकी सत्याग्रह कमेटी अनुमति देगी?

उत्तर-जी हां। यहां पर मैं आपकी कमेटीको यह समझा देना उचित समझता हूं कि कानून भंग करनेके लिये कमेटीकी शिफारिसपर इतना जार क्यो दिया गया था। व्यक्ति- गत स्वच्छन्दता और उसके कारण होनेवाली उच्छ खलताको रोकनेके लिये ही यह सब किया गया था। चूकि यह आन्दो- लन सवसाधारणका था अर्थात् सामूहिक आन्दोलन था, इस