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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२७८

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होमरुल लीग के मेम्बरों को सन्देश

(अप्रेल २८, १९२०)

ऐसी संस्था से संबन्ध रखना जो पूर्णरूप से राजनैतिक है मेरे लिये एकदम से नई बात है और अपने पथ से एकदम हटना है। पर अपने कतिपय इष्टमित्रों तथा हितैषियों से सलाह करने के बाद मैंने इस संस्था का सदस्य होना तथा इसके सभापति का पद स्वीकार करना उचित समझा। अनेक मित्रों तथा हितैषियों ने यह भी कहा कि हमे राजनीति में भाग नहीं लेना चाहिये क्योंकि उस अवस्था में हम अपने इस पद से च्युत हो जायंगे। मैं निःसंकोच स्वीकार करता हूं कि इस चेतावनी का मुझपर बड़ा प्रभाव पड़ा। साथ ही साथ मेरे हृदय में यह भी भाव उठा कि यदि होमरूल लीग ने इसी अवस्था में मुझे स्वीकार कर लिया तो उस आन्दोलन में अपने-को रत न कर देना घोर पाप होगा। इतने दिनों से मैं जिस बात का अनुभव करता आया हूं, जिसमें मैंने असीम योग्यता प्राप्त की है, जिसे मैंने अनुभवों द्वारा शीघ्र सफलता देते देखा है उसका प्रयोग इस संस्थाके उद्देश्यकी सिद्धि के लिये न करना पाप होगा। जिन उद्देश्यों का मैंने जिक्र किया है वे स्वदेशी आन्दोलन, हिन्दू मुस्लिम एकता, हिन्दी को राष्ट्र