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पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/२४१

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रंगभूमि


में बदनाम कर रहा है। न जाने शहरवालों को इससे इतनी सहानुभूति कैसे हो गई। मुझे इसकी जरा भी आशंका न थी कि यह शहरवालों को मेरे विरुद्ध खड़ा कर देगा।"

"मैंने तो जब से सुना है कि अंधा तुम्हें बदनाम कर रहा है, तब से ऐसा क्रोध आ रहा है कि वश चले, तो उसे जीता चुनवा दूँ।”

राजा साहब ने प्रसन्न होकर कहा—"तो हम दोनों घूम-घामकर एक ही लक्ष्य पर आ पहुँचे।"

"इस दुष्ट को ऐसा दंड देना चाहिए कि उम्र-भर याद रहे।”

"मिस्टर क्लार्क ने इसका फैसला खुद ही कर दिया। सूरदास की जमीन वापस कर दी गई।"

इंदु को ऐसा मालूम हुआ कि जमीन धंस रही है और मैं उसमें समाई जा रही हूँ। वह दीवार न थाम लेती, तो जरूर गिर पड़ती-"सोफिया ने मुझे यों नीचा दिखाया है। मेरे साथ यह कूट-नीति चली है! हमारी मर्यादा को धूल में मिलाना चाहती है। चाहती है कि मैं उसके कदम चूमूँ। कदापि नहीं।" उसने राजा साहब से कहा—“अब आप क्या करेंगे?"

"कुछ नहीं, करना क्या है। सच पूछो, तो मुझे इसका जरा भी दुःख नहीं है। मेरा तो गला छूट गया।”

"और हेठी कितनी हुई!”

"हेठी जरूर हुई; पर इस बदनामी से अच्छी है।"

इंदु का मुख-मंडल गर्व से तमतमा उठा। बोली-“यह वात आपके मुँह से शोभा नहीं देती। यह नेकनामी-बदनामी का प्रश्न नहीं है, अपनी मर्यादा-रक्षा का प्रश्न है। आपकी कुल-मर्यादा पर आघात हुआ है, उसकी रक्षा करना आपका परम धर्म है, चाहे उसके लिए न्याय के सिद्धांतों की बलि ही क्यों न देनी पड़े। मि० क्लार्क की हस्ती ही क्या है, मैं किसी सम्राट् के हाथों भी अपनी मर्यादा की हत्या न होने दूँगी, चाहे इसके लिए मुझे अपना सर्वस्व, यहाँ तक कि प्राण भी, देना पड़े। आप तुरंत गवर्नर को मि० क्लार्क के न्याय-विरुद्ध हस्तक्षेप की सूचना दीजिए। हमारे पूर्वजों ने अँगरेजों की उस समय प्राण-रक्षा की थी, जब उनकी जानों के लाले पड़े हुए थे। सरकार उन एहसानों को मिटा नहीं सकती। नहीं, आप स्वयं जाकर गवर्नर से मिलिए, उनसे कहिए कि मि क्लार्क के हस्तक्षेप से मेरा अपमान होगा, मैं जनता की दृष्टि में गिर जाऊँगा और शिक्षित वर्ग को सरकार में भी लेश-मात्र विश्वास न रहेगा। साबित कर दीजिए कि किसी रईस का अपमान करना दिल्लगी नहीं है।"

राजा साहब ने चिंतित स्वर में कहा—"मि० क्लार्क से सदा के लिए विरोध हो जायगा। मुझे आशा नहीं है कि उनके मुकाबले में गवर्नर मेरा पक्ष ले। तुम इन लोगों को जानती नहीं हो। इनकी अफसरी-मातहती दिखाने-भर की है, वास्तव में सब एक है। एक जो करता है, सब उसका समर्थन करते हैं। व्यर्थ की हैरानी होगी।"