सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:रसज्ञ रञ्जन.djvu/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
३—कवि और कविता
३९
 

वैसी ही पुस्तकें हिन्दी में लिखने की कोशिश करें। इनमें से आज हमें हाली के विषय में कुछ कहना है।

शम्स-उल-उलमा मौलाना अल्ताफहुसैन हाली उर्दू के बहुत बड़े कवि हैं। आपने उर्दू में नई तरह की कविता की नींव डाली है। आपकी "मुसद्दस" नाम की कविता गज़ब की है। जिन्होंने इसे न पढ़ा हो जरूर पढ़ें। आप देहली के पास, पानीपत के रहने वाले है। देहली के प्रसिद्ध कवि असदुल्लाखाँ (ग़ालिब) की कृपा से आपने कविता सीखी। पहले आप लाहौर में मुलाजिम थे। वहाँ से देहली आये। अब आप शायद पानीपत में मकान ही पर रहते हैं।[१] बूढ़े हो गये है। आपने कई अच्छी अच्छी पुस्तके लिखी है। कविता में आपका बड़ा नाम है। आपने "मुकद्दमा" नाम का एक लेख लिखा है। यह लेख आपके "दीवान" के साथ छपा है। इस लेख में आपने कवि और कविता पर अपने विचार बड़ी योग्यता से प्रकट किये हैं। प्रायः उसी के आधार पर हम ये लेख लिखते है।

यह बात सिद्ध समझी गयी है कि अच्छी कविता अभ्यास से नहीं आती। जिसमें कविता करने का स्वाभाविक माद्दा होता है, वही कविता कर सकता है। देखा गया है कि जिस विषय पर बडे-बड़े विद्वान् अच्छी कविता नहीं कर सकते उसी पर अपढ़ और कम उम्र लड़के कभी-कभी अच्छी कविता लिख देते हैं इससे यह स्पष्ट है कि किसी-किसी में कविता लिखने की इस्तेदाद स्वाभाविक होती है, ईश्वरदत्त होती है। जो चीज ईश्वरदत्त है वह अवश्य लाभदायक होगी। वह निरर्थक नहीं हो सकती। उससे समाज को कुछ-न-कुछ लाभ अवश्य पहुँचता है। अतएव यदि कोई यह समझता हो कि कविता करना व्यर्थ है


  1. खेद है, आपका देहान्त हो गया। १९१९।