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पृष्ठ:रसज्ञ रञ्जन.djvu/४१

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३—कवि और कविता
 

मैं किसी ऐसे देश में पैदा होता तो लोग मुझे देखकर यह तो न कहते कि यह आदमी उसी एथेन्स का रहने वाला है, जहाँ वाले मेगारा के निवासियों से लड़ाई में हार गये और लड़ाई के मैदान से भाग निकले। प्यारे देशबन्धु, अपने शत्रुओं से जल्द इसका बदला लो। अपने इस कलङ्क को फौरन धो डालो। अपने लज्जाजनक पराजय के अपयश को दूर कर दो। जब तक अपने अन्यायी शत्रुओं के हाथ से अपना छिना हुआ देश न छुड़ा लो तब-तक एक मिनट भी चैन से न बैठों।" लोगों के दिल पर इस कविता का इतना असर हुआ कि फौरन मेगारा वालों पर फिर चढ़ाई कर दी गई और जिस टापू के लिए यह बखेड़ा हुआ था उसे एथेन्स वालों ने लेकर चैन ली। इस चढ़ाई में सालन ही सेनापति बनाया गया था।

रोम, इंग्लैंड अरब, फारस आदि देशों में इस बात के सैकड़ों उदाहरण मौजूद है कि कवियों ने असम्भव बातें सम्भव कर दिखाई हैं। जहाँ पस्तहिम्मती का दौर दौरा था, वहाँ जोश पैदा कर दिया है। जहाँ शान्ति थी, वहाँ गदर मचा दिया है। अतएव कविता एक एक साधारण चीज़ है। परन्तु बिरले ही को सत्कवि होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

जब तक ज्ञान-वृद्धि नहीं होती—जब तक सभ्यता का जमाना नहीं आता—तभी तक कविता की विशेष उन्नति होती है। क्योंकि सभ्यता और कविता में परस्पर विरोध है। सभ्यता और विद्या की वृद्धि होने से कविता का असर कम हो जाता है। कविता में कुछ न कुछ झूठ का अंश ज़रूर रहता है। असभ्य। अथवा अर्द्ध-सभ्य लोगों को यह अंश कम खटकता है, शिक्षित और सभ्य लोगों को बहुत। तुलसीदास की रामायण के खास-खास स्थलों का जितना प्रभाव स्त्रियों पर पड़ता है उतना पढ़ें लिखे आदमियों पर नहीं। पुराने काव्यों को पढ़ने से लोगों का