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पृष्ठ:रसज्ञ रञ्जन.djvu/५

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पंडित महावीरप्रसाद जी द्विवेदी
जीवन-परिचय

जीवनी—पं॰ महावीरप्रसाद द्विवेदी का जन्म रायबरेली के अन्तर्गत दौलतपुर नामक ग्राम में सं॰ १९२१ बैशाख शुक्ल ४ को हुआ था। निर्धनता एवं ग्राम जीवन के जिस वातावरण में आपकी प्रारम्भिक शिक्षा आरम्भ हुई, वह सर्वथा निराशाजनक था। गाँव के मदरसे में उर्दू-हिन्दी पढ़ते समय ही घर पर अपने पितृव्य पण्डित दुर्गाप्रसादजी के प्रबन्ध से इन्होंने थोड़ा-सा संस्कृत-व्याकरण पढ़ा एवं शीघ्रबोध तथा मूहूर्त-चिन्तामणि आदि पुस्तकें भी कण्ठ की। ग्राम्य-पाठशाला की पढ़ाई समाप्त करने के बाद इन्होंने नित्य प्रति १५ कोस रायबरेली जाकर, फीस आदि की कठिनाइयों के बीच अंगरेजी शिक्षा प्राप्त की, उसे पढ़ कर हठात् नेत्रों के समक्ष स्वनामधन्य पं॰ ईश्वरचन्द विद्यासागर का विद्यार्थी जीवन याद आ जाता है। अस्तु, कठिनाइयों की अधिकता के कारण वह स्कूल छोड़ कर आपको उन्नाव के पुरवा के कस्बे के एँग्लोवर्नाक्यूलर स्कूल में आना पड़ा। दुर्भाग्यवश वह स्कूल कुछ ही समय में टूट गया और द्विवेदीजी को वहाँ से जाना पड़ा।

क्रमशः फतेहपुर और उन्नाव में शिक्षा प्राप्त करके ये अपने पिता पं॰ रामसहायजी के पास बम्बई चले गये। यहाँ आपने मराठी, गुजराती, संस्कृत एवं अंग्रेजी का अच्छा अध्ययन किया। विद्याध्ययन के साथ ही साथ आप तार का काम भी सीखते थे। कुछ ही समय में इन्हे जी॰ आई॰ पी॰ रेलवे में सिगनेलर की जगह मिल गयी और क्रम-क्रम से उन्नति करते-करते आप झाँसी में डिस्ट्रिक्ट ट्रैफिक सुपरिटेण्डेण्ट के हेड