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पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/७४

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तृतीय प्रभाव बैसा ही है जैसे पाप के कारण कोई राजा पृथ्वी की राज्यश्री छोड़कर नरक- लोक में निवास करे। अलंकार-उदाहरण, रूपकातिशयोक्ति और अन्योक्ति । सूचना-यहाँ नायिका के कहने का तात्पर्य है कि नायक मुझ जैसी पद्मिनी ( नायिका ) को छोड़कर गंदी एवम् कर्कशा हस्तिनी (नायिका) के पास जाता है। नलिनी और करिनी शब्दों के दुहरे अर्थ के कारण इस सवैये का अर्थ हस्तिनी नायिका और नायक ( भ्रमर ) पर घटित होता है । ( दोहा ) (६०) ता नायक की नायिका, ग्रंथनि तीनि प्रमान । स्वीया परकीया अवर, स्वीया-परकीया न ।१४। शब्दार्थ---प्रवर = { अपर ) और । स्वीया-परकीया न = स्वकीया और परकीया नहीं अर्थात् सामान्या, गणिका । सूचना----नायिकाओं के ये भेद धर्मानुसार किए जाते हैं । अथ स्वकीया-लक्षण (६१) संपति बिपति जो मरनहू, सदा एक अनुहारि । ताहि स्वकीया जानिये, मन-बच-कर्म बिचारि ।१५॥ शब्दार्थ-अनुहारिः 3समान। बच-वचन । स्वकीया-भेद (६२) मुग्धा, मध्या, प्रौढ़ गति, तिनकी तीनि बिचारि । एक एक की जानियहुँ, चारि चारि अनुहारि ।१६। शब्दार्थ-गति = अवस्था । मुग्धा-भेद (६३) नवलवधू नवजोबना, नवलअनंगा नाम | लज्जा लिये जुरति कर, लज्जाप्राय सु बाम ।१७। शब्दार्थ -लज्जाप्राय: लज्जाप्राया । बाम = स्त्री । अथ नवलवधू-मुग्धा-लक्षण (६४) तासों मुग्धा नवबध , कहत सयाने लोई । दिन दिन दुति दूनी बढ़े, बरनि कहै कवि कोइ ।१८। १४ प्रमान-मसान | स्वीया-किया। स्जीदा सामान्या सु प्रमान । १५-ताहि-ताको । जानिये-जानिजहुँ । बच कर्म-क्रम बचन । १६-गति- गनि । को जानियहु-के जानिये । १७-जोबना-यौवना । बाम-धाम-1 १८-तासों-जासों । कोइ-सोड।