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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१९८

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प्राप्त कर सके। इसका बहुत कुछ कारण यह भी हो सकता है कि मुगल बादशाहों के साथ इन लोगों ने वैवाहिक सम्बन्ध कायम किये थे और उनके फलस्वरूप उन्होंने मुगल-दरबार में सम्मान प्राप्त करके बादशाह की राजनीतिक आवाजो का समर्थन करके उनमें सहयोग दिया था। मराठों के आक्रमण से कुशवाहा राजाओं को अधिक आघात पहुंचा था। उनके प्रबल प्रभाव के समय इन लोगो की राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक, सभी प्रकार की भावनायें दुर्बल पड़ जाती हैं। खेती, मिट्टी और पैदावार-ढूंढाड राज्य में खेती के योग्य सभी प्रकार की मिट्टी पायी जाती है। धान और जुआर की अपेक्षा वहाँ पर बाजरा अधिक पैदा होता है। गेहूँ की अपेक्षा जौ की पैदावार विशेष होती है। जयपुर राज्य में सभी प्रकार के अन्न पैदा होते हैं। ईख की पैदावार भी वहाँ अधिक होती थी, लेकिन अनेक कारणों से राज्य के कृपकों ने विवश होकर ईख की खेती कम कर दी। उसका प्रधान कारण यह हुआ कि पहले ईख की खेती पर चार रुपये से लेकर छः रुपये बीघा के हिसाब से निश्चित कर लिया जाता था। लेकिन अब किसानो को खेत देने से पहले साठ रुपये पेशगी ले लिये जाते हैं। इस राज्य के अनेक जिलों में रुई की पैदावार अधिक होती है। मालगुजारी अथवा राज्य कर-जितने भी कर इस राज्य में वसूल किये जाते हैं वे सभी यहाँ पर कभी भी एक से नहीं रहे। वे हमेशा घटते-बढ़ते रहते हैं। इसलिए उनके सम्बन्ध में सही उल्लेख करना बहुत कठिन मालूम होता है। यह बात जरूर है कि इसके सम्बन्ध में अनेक प्रकार की सामग्री हमको मिली है, जिसमें राज्य की मालगुजारी और उसके विभिन्न प्रकार के करों का उल्लेख मिलता है। लेकिन विस्तार में उनका यहाँ जिक्र करना संतोषजनक नहीं मालूम होता। इसलिये उनके सम्बन्ध मे इतना ही लिखना अधिक अच्छा मालूम होता है कि मालगुजारी और विभिन्न प्रकार के करो के द्वारा जयपुर राज्य की सम्पूर्ण आमदनी एक करोड़ रुपये थी, लेकिन मराठो और माचेड़ी के नरुका सामन्तों के सत्रह ग्राम और नगर ले लेने से वहाँ की आमदनी बहुत घट गयी। जयपुर राज्य के अधिकार से जो सत्रह ग्राम और नगर निकल गये थे, वे इस प्रकार हैं: 1 कामा 7 जनरल पीरन ने अपने स्वामी सिधियों की तरफ से जयपुर राज्य 2. खोरी | के इन तीन नगरों पर अधिकार कर लिया था। उसके बाद 3. पहाड़ी| जाटों ने उनको पट्टों पर लेकर अपना अधिकार कायम रखा। 4 कान्ती 5. उकरोद 6. पुन्दापुन 7 गाथी का थाना | माचेड़ी के राव ने इन पर अधिकार कर लिया था। 8 रामपुरा 9 गौनराई 10 रानी 11 पुरवैनी 12 मौजपुर हरमाना 190