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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२४१

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वना दिया। बादशाह जहाँगीर ने माधवसिंह को कोटा का शासन देकर जिस प्रकार सनद दी थी, उसका वर्णन कोटा के इतिहास में किया गया है। __राव रतन ने बुरहानपुर का शासन आरम्भ करने के बाद वहाँ एक नगर की प्रतिष्ठा की और उसने उसका नाम रतनपुर रखा। उसने इन दिनों में एक ऐसा कार्य किया कि जिससे दिल्ली का बादशाह और मेवाड का राणा दोनों प्रसन्न हुए। वह घटना इस प्रकार है: दरियाखाँ नामक एक मुसलमान अमीर ने वादशाह की आज्ञा के विरुद्ध मेवाड़राज्य पर आक्रमण किया और उसकी सेना ने मेवाड़ राज्य के नगरों में भयानक अत्याचार किये। राव रतन ने अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँचकर दरियाखॉ पर आक्रमण किया और युद्ध में उसको कैद करके रतन सिंह वादशाह के पास ले आया। दरियाखाँ अपनी वहादुरी के लिए बहुत प्रसिद्ध था। इसलिए उसको कैद करकेराव रतन ने अपने शौर्य के सम्बन्ध में बड़ी ख्याति प्राप्त की। वादशाह स्वयं राव रतन से बहुत प्रसन्न हुआ। उसने पुरस्कार में राव रतन को एक दल नौवत के वाजे का दिया। साथ ही उसके स्थान पर लाल पताका फहराने का आदेश दिया। बादशाह ने इस बात की भी आज्ञा दी कि राव रतन अपनी सेना के साथ जिस समय वाहर हो, उस समय पीले रंग का झण्डा उसकी सेना में फहराया जाये। रावरतन के उत्तराधिकारी अब तक उस सम्मान सूचक झण्डे का प्रयोग करते हैं। राव रतन को इस प्रकार का सम्मान न केवल दिल्ली के बादशाह से मिला था वल्कि समस्त हिन्दू जाति उसके प्रति अपना सम्मान प्रकट करती थी। वादशाह के यहाँ सम्मान और सामर्थ्य पाकर राव रतन ने अनेक ऐसे कार्य किये, जिनसे अनेक अत्याचारों से हिन्दुओं को छुटकारा मिल सका। उसने गौ-हत्या रोकने के सम्बन्ध में वहुत बड़ी सफलता पायी थी। बादशाह के यहाँ रहकर वह हिन्दुओं के हितों का सदा ख्याल रखता था। वह युद्ध में एक महान शूरवीर समझा जाता था। अंत में बुरहानपुर के एक भीषण युद्ध में वह मारा गया। रावरतन के चार लड़के थे। गोपी नाथ, माधव सिंह, हरिजी और जगन्नाथ । माधवसिंह को कोटा का स्वतन्त्र शासन मिला था और तीसरे लडके हरिजी को गंगेर का अधिकार प्राप्त हुआ था। मेरे समय में हरिजी के वंशजों के पचास आदमियों का परिवार नीमोदा नामक स्थान में रहता था। चौथे लड़के जगन्नाथ की मृत्यु हो गयी। उसके कोई सन्तान न थी। सबसे बड़ा लड़का और राज्य का उत्तराधिकारी गोपीनाथ पिता की मृत्यु के पहले ही मारा गया था। उसकी मृत्यु के सम्बन्ध में निम्नलिखित घटना पढने को मिलती है: राजकुमार गोपीनाथ बूंदी राज्य के वलदिया वंश के एक ब्राह्मण की सुन्दर स्त्री से प्रेम करता था। गोपीनाथ रोजाना रात के समय उस ब्राह्मण के घर पर जाया करता था। उसकी इस हालत मे कुछ दिन व्यतीत हो गये। एक दिन रात को जव गोपीनाथ उस ब्राह्मण के घर मौजूद था, तो उस ब्राह्मण को मालूम हो गया। उस ब्राह्मण ने गोपीनाथ को पकड़ कर उसके हाथ-पैर बाँध दिये और अपने मकान में उसको छोड़कर वह राजमहल में गया और रावरतन से उसने कहा-"एक दुराचारी ने रात में मेरे घर आकर मेरी स्त्री के सतीत्व को नष्ट करने की कोशिश की थी। मैंने उसे पकड़ लिया है। उसको क्या दण्ड दिया जाये?" उस ब्राह्मण की इस बात को सुनकर बूंदी के राजा रतन सिंह ने कहा-"उसकी सजा मृत्यु है।" 233