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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२९७

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सन् 1784 ईसवी में जालिम सिंह के उसकी निजी भूमि पर लगभग तीन सौ हल चलते थे परन्तु इसके कुछ ही वर्षा के बाद उसके हलो की संख्या आठ सों तक पहुँच गयी। जालिम सिंह ने पुराने नियमों को तोड़कर और नवी व्यवस्था चालू करके किसानों से राज्य-कर में अनाज के स्थान पर रुपये लेना आरम्भ किया, उस समय उसके हलों की संख्या पहले से दुगुनी होकर एक हजार छः सो तक पहुँच गयी थी। सन् 1821 ईसवी में जालिम सिंह की अपनी भूमि पर चार हजार हल चलते थे और उनमे सोलह हजार वेल काम करते थे। जालिमसिंह के वंश के लोगों के अधिकार में कितनी भूमि थी और उसमें कितने हल चलते थे, उनकी संख्या जालिम सिंह के हलों की संख्या से विलकुल अलग थी। जालिम सिंह ने कोटा राज्य में खेती के द्वारा अपरिमित सम्पत्ति पैदा की थी। वह अपनी इस सम्पत्ति के द्वारा राजस्थान के राजाओ में सबसे अधिक सम्पत्तिशाली समझा जाता था। लेकिन उसकी इस उन्नति ने कोटा राज्य के किसानों और दूसरे लोगों को न केवल निधन, बल्कि भिखारी बना दिया। अपनी भीपण दरिद्रता के कारण राज्य में अगणित कृपकों ने खेती का काम बन्द करके नौकरियों का आश्रय लिया था। इस प्रकार जो भूमि किसानों से छूटती जाती थी, उस पर जालिम सिंह का अधिकार होता जाता था। ___ जालिम सिंह ने राज्य की लगभग सम्पूर्ण अच्छी भूमि पर अधिकार कर लिया था और उसमें उसकी खेती होने लगी थी। उसकी इस नीति से कोटा का राज्य पक्ष जितना ही सम्पन्न और सम्पत्तिशाली बन गया था, दूसरे पक्ष में सभी प्रकार की प्रजा से लेकर किसानो तक-सभी लोग भवानक दरिद्र हो गये। इसके फलस्वरूप राज्य की प्रजा भीपण कठिनाइयों का सामना कर रही थी। कोटा के किसानों को अपनी जन्मभूमि से प्रेम था। इसलिए गरीवी और कठिनाई में रहकर भी उन्होंने अपने राज्य को नहीं छोड़ा। यह बात जरूर है कि जालिम सिंह के कठोर शासन के कारण प्रजा के बहुत-से लोग राज्य छोड़कर चले गये थे। परन्तु राजस्थान के अनेक राज्यों में मराठों की लूट-मार उन दिनों में हो रही थी। इसलिए जो लोग कोटा राज्य से भागकर गये थे, वे लोग कहीं आश्रय न पा सके और उन्हें फिर अपने राज्य में लौटकर आ जाना पड़ा।* कोटा राज्य में भूमि की मिट्टी उपजाऊ और वहत कडी है। वह आसानी से टूटती नहीं है। इसलिए जालिम सिंह ने कोकण राज्य की तरह अपने यहाँ भी दो हलों को एक साथ प्रयोग में लाने के लिए प्रवन्ध कर दिया था और उन हलों में जो बैल जोते जाते थे, वे उत्तम श्रेणी के थे। जालिम सिंह ने अपनी खेती के लिए अच्छे बैलों के रखने का प्रबन्ध किया था और वे बैल झालरापाटन के मेले में खरीदे गये थे। मारवाड़ और मरुभूमि के दूसरे स्थानों मे दी राज मंकिसानों का अपनी भूमि पर पेतक अधिकार था।वहाँ पर किसानों के इस अधिकार को नष्ट नहीं किया जा सकता था। अपने इस अधिकार के कारण व्हाँ के किमान अपनी भूमि को मंत्र सक्ने थे औरहन कर मस्ते । ती राज्य में राज्य कर न व्मल हो सकने की दशा में भी किमानों ने भूमि राजा ले नहीं ममता था और न उनको पैतृक अधिकारों में किसी प्रकार वञ्चित किया जा सकता था। किसान अपनी भूमि को अपनी गनुसार किमी दर किमान को ददनकायं अधिकारी थाक्सिी अपराध करने पर यदि टी राजका कोई किगनगन्य संनिकाल दिया जाता था तो भी उसकी भमि पर उसका अधिकार कायम मनाया इअनुसार किया 291