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पृष्ठ:रामचंद्रिका सटीक.djvu/६९

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. रामचन्द्रिका सटीक । चामरछद ॥ मतदति राज राजि वाजि राज राजि के। हेम हीर मुक्तचीर चारु साज साजिकै । वेषवेष वाहिनी अशेष वस्तु शोषियो। दाइजो विदेहराज भांति भांतिको दियो ६४ वस्त्र भौन स्यो वितान प्रासने विछावने । अस्त्र शस्त्र अंग- त्रान भाजनादि को गने ॥दासि दास वासि वास रोमपाट को कियो। दाइजो विदेहराज भांति भांतिको दियो ६५ ॥ चमतिकै यह चन्द्रिकाहू में जानो ६१ एकनके मुख नतकहे लाजों | नीचे को नये है ते लोललोचन कारकै लोकलोचननको इस्ती हैं ६२ रवाहा अग्नि की श्री पावकसम वस्त्र है स्वाहासम स्त्री है ६३ मत्त जे दतिराज गजराज हैं तिनकी राजि कहे समूह औ बाजिराज घोड़ेन की राजिका कहे समूह ौ से दीवेके उचित वस्तु हैं तिन्हें शोषियो कहे दीके लिये वृद्धि २ मंगायो ६४ वितान कहे चंदोवा सामियानेति शासन भूषासन गद्दीति विकावने फरश स्पो कहे सहित बनभौन कहे पाल डेराइति दियो अंगनाण बस्तर भामन सुवर्णादि के पान वासि सुगंधसों युक्त कारकै रोमवास उराम कवलादि पाटवास पीतांबरादि दियो ६५ ॥ दोहा॥ जनकराज पहिराइयो राजा दशरथ साथ ॥ छत्र चमर गज वाजिदै पासमुद्र क्षितिनाथ ६६ निशिपालिका छद ॥दान दिय राज दशरत्म सुखपाइके शोधि ऋषि ब्रह्म- ऋषिराजनि बुलाइकै ॥तोषियाचक सकल दादुर मयूरसे। मेघ जिमि वर्षि गज वाजिय मयूर से ६७॥ इति श्रीमत्सकललोकलोचनचकोरचिन्तामणिश्रीराम- चन्द्रचन्द्रिकायामिन्द्रजिदिरचितायांसीताराम विवाहवर्णनंनाम षष्ठप्रकाशः॥६॥ राजा उशरयके नापासपुर के मिनिनावरहे तीन राजादशरथ के नाथ नाराज परतोनी पहिराया पिदा सपय वी परिरानि परतीनी नाप करि परियम पगिद्ध ६३ वरती की पहंगगने र दिनाकपुर 3 Lundan Yn yana u