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पृष्ठ:लिली.pdf/५०

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लिली पड़ी। एक रोज बड़ा हंगामा भी हुआ। दोनो तरफ के अनेक घर लुटे, फुके और ढहा दिए गए । हजारों बादमी काम पाए। जो हिंदू मुसलमानों की बस्ती में थे, उनके घर ककर, माल लूटकर, आदमियों को मारकर या जख्मी कर मुसलमानों ने उनकी स्त्रियों को अपने घरों में डाल लिया। ऐसा ही हिंदुओं ने भी किया। अपने मसरक में न आने लायक जानकर उन्होंने मुसलमानों की महिलाओं का भी वध कर डाला। दोनो जातियों के लोग अपने-अपने दलों के भूले-भटके, गायब-शुदा लोगों की तलाश में लग गए। उसी समय एक मुसलमान के घर से दो हिंदू-युवतियाँ बरामद हुई। राजकिशोर हिंदू-दल में था। निस्सहाय जान अपने घर में जाँच होने तक जगह देने को राजी हो गया, और कमला के पास लिवा लाया। उन्हें नहला, वस्त्र दे, जल-पान करा कमला ने परिचय पूछा। दोनो भले घर की स्त्रियाँ जान पड़ती हैं, बहुत ही दहशत खाई हुई। एक व्याही हुई घर की बहू-सी है, दूसरी क्वाँरी। युवती सत्रह साल की, बालिका पंद्रह साल की है। बालिका बोली--"यह मेरी बहूजी हैं। मेरे भाई रमाशंकर वाजपेयी यहीं काटन-मिल के बाबू हैं। मेरे पिता का नाम राम- के चंद्र वाजपेयी है। भैया का पता नहीं है। पिताजी घर में थे, पर हम लोगों से नहीं मिले। कुछ मुसलमान घर लूटकर हमें अपने साथ ले गए थे।"