यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
बेजार रही
गरीब रही
इस कौम ने कभी नहीं उठायी आवाज
यह कौम कभी विरोध की आवाज में शामिल नहीं हुई
सत्ता जानती है
ये सड़क पर मरें या रेलवे ट्रैक पर
या कि घुटन से मर जाएं पंखों से लटक कर
ये कभी सत्ता को चुनौती नहीं देंगे
इनके आंसू
मिट्टी में मिलकर
मिट्टी को उर्वरा करेंगे
सीमेंट में गिरकर सीमेंट को मजबूत बनाएंगे
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 100