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दुबक गया साजिशों का अट्टहास सुनकर
या मर गया हे
मरे हुए ईश्वर से
लोग बचाने की गुहार लगा रहे हैं
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 82
दुबक गया साजिशों का अट्टहास सुनकर
या मर गया हे
मरे हुए ईश्वर से
लोग बचाने की गुहार लगा रहे हैं
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 82