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तीसरा अङ्क

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महरी, मिश्राइन, सभोंको जाना पड़ेगा और इस वक्त इतनी गुंजाइश नहीं।

कंचन—अकेले तो आपको बहुत तकलीफ होगी।

सबल—(खिझकर) क्या संसारमें अकेले कोई यात्रा नहीं करता। अमरीका करोरपतितक एक हैंडबैग लेकर भारतकी यात्रापर चल खड़े होते हैं, मेरी कौन गिनती है। मैं उन रइसोंमें नहीं हूं जिनके घरमें चाहे भोजनोंका ठिकाना न हो, जायदाद बिकी जाती हो, पर जूता नौकर ही पहनायेगा, शौचके लिये लोटा लेकर नौकर ही जायगा। यह रियासत नहीं हिमाक़त है।

(कंचनसिह चले जाते हैं।)

सबल—(मनमें) वही हुआ जिसकी आशंका थी। आज ही राजेश्वरीसे चलनेको कहूं और कल प्रातःकाल यहाँसे चल दूं। हलधर कहीं आ पड़ा और उसे सन्देह हो गया तो बड़ी मुशकिल होगी। ज्ञानी आसानीसे न मानेगी। उसे देखकर दया आती है। किन्तु आज हृदयको कड़ा करके उसे भी रोकना पड़ेगा।

(अचलका प्रवेश)

अचल—दादाजी, आप पहाड़ोंपर जा रहे हैं, मैं भी साथ चलूंगा।