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ब्रह्मभोज, राजेश्वरी और सलोनी गांवकी अन्य स्त्रियों के
साथ गहने-कपड़े पहने पूजा करने जा रही।)
जय जगदीश्वरी मात सरस्वती,
सरनागत प्रतिपालनहारी।
चन्द जोतसा बदन बिराजे,
सीस मुकुट माला गलधारी--जय०
बीना बाम अङ्गामें सोहै,
सामगीत धुन मधुर पियारी--जय०
श्वेत वसन कमलासन सुन्दर,
सङ्ग सखी अरु ईस सवारी--जय०
सलोनी--(देवीकी पूजा करके राजेश्वरीसे) आ तेरे गले में माला डाल दूँ, तेरे माथेपर भी टीका लगा दूँ। तू भी हमारी