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दूसरा अङ्क

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गलेमें डाल लूंगा। साँपको हटाकर मणिको अपने हृदयमें रख लूंगा। (प्रगट) और असामियोंकी जायदाद नीलाम करा सकते हो पर हलधरकी जायदाद नीलाम करानेके बदले में उसे कुछ दिनों हिरासतकी हवा खिलाना चाहता हूं। वह बदमाश आदमी है, गांववालोंको भड़काता है। कुछ दिन जेलमें रहेगा तो उसका मिजाज ठंढा हो जायगा।

कंचन--हलधर देखनेमें तो बड़ा सीधा भौर भोला आदमी मालूम होता है।

सबल--मना हुआ है। तुम अभी उसके हथकण्डोंको नहीं जानते। मुनीमसे कह देना, वह सब कार्रवाई कर देगा। तुम्हें अदालतमें जानेकी जरूरत नहीं।

(कञ्चन सिंह का प्रस्थान)

सबल--(आप ही आप) झानियोंने सत्य ही कहा है कि कामके वशमें पड़कर मनुष्यकी विद्या, बुद्धि, विवेक सब नष्ट हो जाते हैं। यह वह नीच प्रकृति है तो मनमाना अत्याचार करके अपनी तृष्णाको पूरी करता है। यदि विचारशील है तो कपट नीतिसे अपना मनोरथ सिद्ध करता है। इसे प्रेम नहीं कहते, यह है कामलिप्सा। प्रेम पवित्र, उज्वल, स्वार्थ रहित, सेवामय, वासना रहित वस्तु है। प्रेम वास्तवमें ज्ञान है। प्रेमसे संसारकी सृष्टि हुई, प्रेमसे ही उसका पालन होता है। यह ईश्वरीय प्रेम है। मानव-