सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११६
समाजवाद:पूंजीवाद

समाजवाढ : पूंजीवाद वाज़ारो की ज़रूरत थी जिन पर जर्मनी का प्रभुत्व हो । यह लड़ाई वास्तव में इसीलिए हुई थी । अन्य देशों ने जो लढाई में भाग लिया वह तो एक-दूसरे की सहायता करने के लिए था। ___उस युद्ध मे बड़ा भीपण जन-संहार हुआ, लाखों लोग मारे गए । उस सव का कारण दोपयुक्त पंजीवाढी पद्धति ही थी। जिन चीज़ों की इंग्लैण्ड में बिक्री न होती थी उन चीज़ो को मुनाफे पर बेचने के लिए जो पहिला जहाज़ अफ्रीका गया उसने ही इस युद्ध की शुरुवात की थी और यदि हमने श्राजीविका के लिए पंजीवादियों की नीति का ही अनुसरण किया तो भागे जितने भी युद्ध होंगे उनकी भी शुरूपात वही करेगी। किन्तु इसमें विदेशी व्यापार का दोप नहीं है । उसत सभ्यता की ऐसी कितनी ही चीजें है जो राष्ट्रों को अपनी सीमाओं के भीतर उपलब्ध नहीं हो सकतीं । वे उन्हे एक-दूसरे से खरीदनी होती है । इसलिए हमे पुनिया मे सर्वत्र व्यापार और यात्रा करनी चाहिए और एक-दूसरे के सम्पर्क में थाना चाहिए। किन्तु इन पंजीपति व्यापारियों का इसके अलावा और कोई उद्देश्य न था कि जिन देशों में उन्होंने अपना राज्य स्थापित किया था उन देशों के लोगों से भरसक मुनाफा कमाया जाय । उन्होंने अपने देशों को इसलिए छोड़ा था कि उन में अधिक मुनाफ़े की गुंजाइश न थी, अतः यह नहीं माना जा सकता कि वे अपना किनारा छोड़ते ही अपने स्वार्थ-भाव को भी वहीं छोड़ पाए थे । यद्यपि उन्होंने दुनिया में चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि वे उन देशों को, जिन पर वे राज्य करते है और जिन मे रहने वाले लोगों से स्व मुनाफा कमाते हैं, सभ्य बना रहे हैं; किन्तु जब उन देशों के बाशिन्दे सभ्य हो कर अपना राज्य स्वयं चलाने योग्य हो गए तो उन्होंने उनके देशों का प्रबन्ध उन्हें सौंपने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा, 'हम अपने जीते हुये प्रदेशों को योही न दे देंगे । हम उनकी रक्षा अपने लोहू की अन्तिम यूंद गिरा कर करेंगे।' किन्तु फिर भी श्राधा उत्तरी अमेरिका इंग्लैण्ड वालों के हाथ से निकल गया । प्रायलेण्ड, मिश्र और दक्षिण अफ्रीका ने स्वशासन का