क्या इस युगकी नैतिकताकी दुःखपूर्ण दशा सूचित नहीं करता है? कभी-कभी इन बातोंका विचार करते हुए मैं कर्म-फलके प्रति पूर्णतया निराश हो जाता हूँ। किन्तु 'भगवद्गीता' का एक श्लोक[१] मुझे पूर्ण निराशा और उसके फलस्वरूप होनेवाली निष्क्रियतासे बचा लेता है। श्लोकमें कर्मफलका मोह त्याग देनेका उपदेश है।
हृदयसे आपका,
मो° क° गांधी
पता बदल गया है। कृपया इसे देख लें।
मो° क° गांधी
सौजन्य: ई° एस° हार्ट
४९. नेटाल भारतीय कांग्रेसका संविधान
(स्थापित: २२ अगस्त, १८९४)
अध्यक्ष
श्री अब्दुल्ला हाजी आदम
उपाध्यक्ष
सर्वश्री हाजी मुहम्मद हाजी दादा, अब्दुल कादिर, हाजी दादा हाजी हबीब, मूसा हाजी आदम, पी° दावजी मुहम्मद, पीरन मुहम्मद, मुरुगेश पिल्ले, रामस्वामी नायडू, हुसेन मीरन, आदमजी मियाँ खाँ, के° आर° नायना, आमद भायात (पीटरमैरित्सबर्ग), मूसा हाजी कासिम, मुहम्मद कासिम जीवा, पारसी रुस्तमजी, दाउद मुहम्मद, हुसेन कासिम, आमद टिल्ली, दोरास्वामी पिल्ले, उमर हाजी अबा, उस्मानखाँ रहमतखाँ, रंगस्वामी पदयाची, हाजी मुहम्मद (पीटरमैरित्सबर्ग), कमरुद्दीन (पीटरमैरित्सबर्ग)।
अवैतनिक मन्त्री
श्री मो° क° गांधी
कांग्रेस कमेटी
अध्यक्ष: श्री अब्दुल्ला हाजी आदम। अवैतनिक मन्त्री: श्री मो° क° गांधी। कमेटी के सदस्य: सब उपाध्यक्ष और सर्वश्री एम° डी° जोशी, नरसीराम, माणेकजी,
- ↑ अभिप्राय कदाचित् "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" से है।