पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/२२

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चौदह

(अध्यक्ष), काकासाहब कालेलकर, श्री रं॰ रा॰ दिवाकर, श्री प्यारेलाल नैयर, श्री रामधारी सिंह 'दिनकर', श्री शान्तिलाल हरजीवन शाह, निदेशक, प्रकाशन विभाग और प्रधान सम्पादक।

सामग्री एकत्र करनेके कामकी व्यवस्था और ग्रन्थोंके सम्पादनका कार्य एक प्रधान सम्पादकको सौंपा गया है। श्री भारतन् कुमारप्पा प्रधान सम्पादक नियुक्त किये गये थे। सन् १९५७ में उनके देहान्तके बाद, परामर्श-मण्डलने श्री जयरामदास दौलतरामको प्रधान सम्पादक बननेके लिए आमन्त्रित किया। उन्होंने अक्तूबर, १९५९ में त्यागपत्र दे दिया और प्रोफेसर कृष्ण स्वामी स्वामिनाथनने फरवरी, १९६० में प्रधान सम्पादकके पदका कार्य-भार सँभाला था।

दो उप-प्रधान सम्पादक — अंग्रेजीके लिए श्री चि॰ ना॰ पटेल और हिन्दीके लिए श्री भवानीप्रसाद मिश्र — प्रधान सम्पादककी सहायता करते हैं। सम्पादकों और अनुवादकोंके नाम हैं: श्री खु॰ ने॰ वास्वाणी, श्री गोविन्द व्यास, श्री आनन्दीलाल तिवारी, श्री गणेश दत्तात्रेय गद्रे, श्री अभ यआत्मा शिरोमणि, श्रीमती लक्ष्मी त्रिपाठी श्री जगदीशप्रसाद उनियाल, शं॰ कल्याण सुन्दर और श्री रमेश नारायण तिवारी।

सहायक सम्पादकों, शोध तथा संदर्भ सहायकों और उप-सम्पादकोंकी एक टोली इनकी सहायता करती है।

उप-प्रधान सम्पादक, सम्पादकों और अनुवादकोंके रूपमें समय-समयपर इसमें योग देनेवालोंके नाम हैं: श्री उल्लाल रत्नाकर राव (उप-प्रधान सम्पादक — अंग्रेजी, १९५६-६९), श्री रामचन्द्र कृष्ण प्रभु (सम्पादक — भाषण, १९५६ - ५८), श्री मनुभाई कल्याणजी देसाई (सम्पादक — गुजराती, १९५६-६०), श्री सीताचरण दीक्षित (सम्पादक — हिन्दी, १९५६-६४), श्री पाण्डुरंग गणेश देशपाण्डे (सम्पादक — पत्र, १९५६-६६), श्री रतिलाल मेहता (सम्पादक — गुजराती, १९५७-५८), श्री माधव प्रसाद (सम्पादक — भाषण, १९५९-६४), श्री श्रीनाथ सिंह (अनुवादक — हिन्दी, १९५९-६३), श्री चक्रवर्ती लक्ष्मी नरसिंहन (प्रूफ संशोधक, १९६०-६५), श्री रामसिंह (अनुवादक — हिन्दी, १९६०-६७), श्री ना॰ कु॰ देसाई (अनुवादक — गुजराती, १९६२-६७) और श्री प्रभाकर रामराव कैकिनी (अनुवादक — गुजराती, १९५९-६९)।