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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय


और वेरीनिगिंगमें सम्राट्की जेलमें कैद नेटालसे आये हुए नेताओंको बधाई देती है। यह सभा सत्याग्रह आन्दोलनको तुरन्त शुरू करने और श्री काछलियाके पत्रमें किये गये अनुरोधोंके स्वीकार होनेकी घड़ी तक उसे जारी रखनेका भी संकल्प करती है। यह सभा संघ-सरकारसे सादर निवेदन करती है कि वह अनुरोध मंजूर करके समाजके साथ न्याय करे। यह सभा साम्राज्यीय सरकार और भारत सरकारसे भी सहायताके लिए प्रार्थना करती है और इसे भरोसा है कि इंग्लैंड और भारतके प्रमुख विचारक राष्ट्रीय सम्मानको रक्षाके इस प्रयास में समाजका समर्थन करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
रैड डेली मेल, २९-९-१९१३

१४८. पत्र: मगनलाल गांधीको

[जोहानिसबर्ग]
सोमवार [सितम्बर २९, १९१३]'

चि० मगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारे खिन्न होनेका कोई कारण नहीं है। तुम आधा खाकर ही उठ बैठे होते तो भी काम पूरा नहीं हो सकता था और गड़बड़ी भी बचाई नहीं जा सकती थी। मेरे दोष तुम्हारे संयमसे कैसे दूर हो सकते हैं ! उन्हें दूर करना तो मेरे ही हाथ है।

मणिलाल, मेढ और प्रागजी आज फेरीवाले बनकर फेरी करनेके लिए निकले हैं। मैं उनकी गिरफ्तारीको खबरकी बाट जोह रहा हूँ।

यहाँसे स्त्रियां काफी संख्यामें मिलेंगी। वे आजकलमें ही निकलेंगी। सुना है कि फोक्सरस्टसे स्त्रियों तक को मैरित्सबर्ग ले जाया गया है। सत्याग्रह कोष इकट्ठा करनेकी जरूरत मालूम होती है। लोग स्वेच्छया चन्दा दे जाते हैं। नीचे दी गई रकमोंकी प्राप्ति स्वीकार करना:

श्रीमती नूर मुहम्मद बाबुल १-१-०

जोगी फकीर बैजलपुरवाला १-०-० वहाँ तुम्हें कहीं भी सूखे हुए केले मिल जायेंगे। उन्हें चूल्हेमें भी सुखा लिया जा सकता है। किन्तु बा तो मैरित्सबर्ग गई मालूम होती है। इसलिए बात तो तभी बनेगी जब हमें वहाँ खुराक पहुँचानेकी अनुमति मिलेगी। खलबट्टेकी जरूरत नहीं। सरौतेसे छोटे-छोटे टुकड़े करके चक्कीमें पिसवा लेना। छगनलालका पत्र यहाँ आया था; भेज रहा हूँ।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ५८६८) की फोटो-नकलसे।

१. पत्रमें सूचित दानकी प्राप्ति इंडियन ओपिनियनके ८-१०-१९१३ के अंकमें प्रकाशित हुई थी

२. तात्पर्य “पत्र : मगनलाल गांधीको", पृष्ठ २०३-०४ में उल्लिखित स्थितिसे है