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डायरी : १९१५
फरवरी १३, शनिवार
फरवरी १४, रविवार
- बम्बई गया। गोकुलदास, कुँजरू और देवधर[३] साथ आये। बलवन्तराय भी साथ थे। सवेरे ४ बजेसे श्री गोखलेके साथ बातचीत। सनातन धर्म नीति-मण्डलकी[४] सभाकी अध्यक्षता। नाटकशालामें गया। सोराबजीकी बहनके साथ मुलाकात।
फरवरी १५, सोमवार
- रॉबर्टसनसे भेंट। कपोल छात्रावास[५] में गया। बोलपुर रवाना-नगीनदासके साथ।
फरवरी १६, मंगलवार
- रास्ते में।
फरवरी १७, बुधवार
- बदवानमें ऐन्ड्रयूज और सन्तोक बाबू आये। त्रिस्तीके घर गया। बोलपुर रातको पहुँचा। ठेठ पुराने ढंगके अतिथि-सत्कारका आनन्द मिला।[६]
फरवरी १८, बृहस्पतिवार
- ऐन्ड्रयूजके साथ बातचीत।
फरवरी १९, शुक्रवार
- ऐन्ड्रयूजके साथ और बातचीत।
फरवरी २०, शनिवार
- राजनैतिक गुरुके[७]स्वर्गवासका तार मिला। बोलपुरसे रवाना। जे० बी०[८]तार दिया। बर्दवान तक ऐन्ड्रयूज साथ आये। खूब बातचीत हुई। शिक्षकोंसे सुधारोंके सम्बन्धमें वार्तालाप। ट्रेनमें कष्ट।[९]मगनलाल, नगीनदास तथा बा साथ आये।
फरवरी २१, रविवार
- रास्ते में।
- ↑ १. देखिए “भाषण: पूनाकी सार्वजनिक सभामें”, १३-२-१९१५।
- ↑ २. देखिए आत्मकथा भाग ५, अध्याय २, (द्वितीय आवृत्ति)।
- ↑ ३. जी० के० देवधर, भारत सेवक समाजके सदस्य और बादमें अध्यक्ष।
- ↑ ४. देखिए “भाषण: बम्बई में छात्रोंके पुरस्कार वितरणमें”, ५-२-१९१५।
- ↑ ५. देखिए “भाषण: कपोल छात्रावास, बम्बईमें”,, १७-२-१९१५।
- ↑ ६. देखिए “भाषण: शान्तिनिकेतनके स्वागत समारोहमें”, १७-२-१९१५।
- ↑ ७. देखिए “तार: हृ० ना० कुंजरूको” तथा “तार: करसनदास चितलियाको”, २०-२-१९१५।
- ↑ ८. जोहानिसबर्गं। देखिए “तार: ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघको”, २०-२-१९१५।
- ↑ ९. इसे २१ फरवरीकी टीपमें होना चाहिए। देखिए, “पत्र: पूर्व भारतीय रेलवेके मुख्य टैफिक मैनेजरको”, २३-२-१९१५।