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डायरी:१९१५

मार्च ९, मंगलवार

स्वास्थ्य-सफाई समितिके साथ सब कुछ देखा। गन्दगीकी सीमा न थी।

मार्च १०, बुधवार

शिक्षकोंसे वार्ता। लड़कोंसे मुलाकात। स्वयं रसोई बनानेका प्रयोग आरम्भ। सवेरे फलाहार। शामको मन्दिरमें भाषण।

मार्च ११, बृहस्पतिवार

ऐन्ड्रयूज और सरोद बाबूके बीच गरमागरमी। ऐन्ड्रयूजने क्षमा माँगी। रातको कलकत्ता जानेके लिए निकला। हरिलाल और रामदास साथ आये । गुरुदेवसे स्टेशनपर मिला। लड़कोंके लिए ऐन्ड्रयूजको २०० रुपये दिये। दत्तात्रेयसे[१] रुपया लिया।

मार्च १२, शुक्रवार

कलकत्ते पहुँचा। बहुत भीड़। भूपेन बाबके यहाँ ठहरा। गुजराती मण्डलकी ओरसे मानपत्र।[२]

मार्च १३, शनिवार

मारवाड़ियोंकी सभा। कासिम बाजारमें[३]सभा। मोतीबाबूके साथ मुलाकात। भूपेन बाबूके यहाँ पार्टी। हरिलालने अलग होनेका अन्तिम निश्चय किया।

मार्च १४, रविवार

रामदास, राजंगम, छगन आदिके साथ रंगूनके लिए रवाना। [जहाज पर] अपार गन्दगी और भीड़।[४]

मार्च १५, सोमवार

बहुत से पत्र लिखे।

मार्च १६, मंगलवार

विशेष पत्र लिखे।

मार्च १७, बुधवार

रंगून पहुँचा। जलूस आदि, सदाकी भाँति।

मार्च १८, बृहस्पतिवार

डॉक्टरके[५] साथ घूमा-फिरा। शामको उनके यहां पार्टी थी।
 
  1. १. दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर।
  2. २. देखिए “मोद-मण्डल, कलकत्ता द्वारा दिये गये मानपत्रका उत्तर”, १२-३-१९१५।
  3. ३. देखिए “भाषण: कलकत्ताके स्वागत समारोहमें”, १३-३-१९१५।
  4. ४. देखिए “पत्र: बी० आई० एस० एन० कम्पनीके एजेंटगणको”, १९-३-१९१५।
  5. ५. डॉ० प्राणजीवन मेहता।