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डायरी: १९१५

मई ४, मंगलवार

अदा बीमार पड़ गये। [व] फलाहारसे ऊब गये, पका हुआ खाना खाया और नायकरको भी दिया। सम्मेलनमें गया। ‘प्रह्लाद-आख्यान’ तेलगूमें देखा।

मई ५, बुधवार

सम्मेलनमें गया।[१] सोशल कांफ्रेंसमें भी भाग लिया। सनातन धर्मका सम्मेलन भी था।

मई ६, बृहस्पतिवार

दोनों सम्मेलनोंमें गया। स्वदेशी कपड़ा देखा। हमारे बारेमें प्रस्ताव।[२] उसका उत्तर। फिर रातको विद्यार्थियोंकी ओरसे मानपत्र। उसका उत्तर।[३]

मई ७, शुक्रवार

सवेरे विदाई, मद्रास पहुँचा। लीगकी बैठक।[४] और गुण विलास सभाकी ओरसे हरिश्चन्द्र नाटक। सुन्दरम् साथ आया। बंगलौरके लिए रवाना। ... शर्माका ढोंग। उसको आनेके लिए मना किया। एक विद्यार्थीने दस रुपये दिये। गोकुलदासने १,००० रुपयेकी हुंडी दी।

मई ८, शनिवार

सवेरे बंगलौर पहुँचा। बहुत धूमधाम। नटेसन साथ थे। सुरजूकी पत्नी मिली। उसे २० रुपये देनेका प्रबन्ध किया। ढाई सालके लिए उसे १० रुपया महीना देनेका निश्चय किया है। श्री गोखलेकी प्रतिमाका अनावरण।[५]सार्वजनिक सभा।[६] दीवान साहबसे मुलाकात।

मई ९, रविवार

रास्ते में।

मई १०, सोमवार

बम्बई पहुँचा। सोसाइटीमें ठहरा। मणिको १,००० रुपयेकी हुंडी दी। बम्बईसे प्रस्थान।

मई ११, मंगलवार

अहमदाबाद आया। अदाने अपने रेल-भाड़ेके ५० रुपये दिये। अहमदाबाद तकके रु० ६६-७-० हुए। जीवनलालके साथ मकान देखने गया। खर्च आदिका तखमीना[७] लगाकर सेठ मंगलदासको दिया।

मई १२, बुधवार

सेठ मंगलदासके साथ बातचीत की। उन्होंने अपनी खाँसीके इलाजके लिए उपवास आरम्भ किया।
 
  1. १. देखिए “भाषण: नेलौर में”, ५-५-१९१५।
  2. २. देखिए “भाषण: नेलौरमें ५-५-१९१५ की पादटिप्पणी ४।
  3. ३. देखिए “भाषण: नेलौरमें आयोजित छात्रोंकी सभामें”, ६-५-१९१५।
  4. ४. देखिए “वक्तव्य: भारतीय दक्षिण आफ्रिकी संघ, मद्रासकी सभामें”, ७-५-१९१५।
  5. ५. देखिए “भाषण: बंगलौरमें”, ८-५-१९१५।
  6. ६. देखिए “बंगलौरके नागरिकोंको उत्तर”, ८-५-१९१५।
  7. ७. देखिए “आश्रम: आनुमानिक व्यय”, ११-५-१९१५।