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पत्र: एस्थर फैरिंगको

है। मैं भी इसपर राजी हो गया। यदि कोई हमारे मकानके नीचे सुरंग खोदे और उसे विस्फोटकोंसे भर दे, एवं हमारा दुश्मन जब वहाँ भीड़-भाड़ हो तब उसे उड़ा देनेकी बात सोचे, और एक चिट ‘निजी और गोपनीय’ लिखकर प्रचारित करे तो हमारा कर्त्तव्य है कि हम उसे समयपर पकड़ लें और उसका भेद खोल दें। मैं श्री कर्टिसको बहुत समयसे जानता हूँ। उनके भाई दक्षिण आफ्रिकामें थे। मेरे विचारसे इस पत्रके प्रकाशित होनेके कारण भारतको उपनिवेशोंके प्रभुत्वमें रखनेकी चाल अब न चलेगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन सोशल रिफॉर्मर, २१-१-१९१७

२३८. पत्र: एस्थर फैरिंगको

अहमदाबाद
जनवरी १५, १९१७

प्रिय एस्थर,

तुम्हारा सुन्दर पत्र पाकर और यह जानकर कि कुमारी पीटर्सनका जु बिलकुल ठीक हो गया है मुझे प्रसन्नता हुई।

मुझे इस बातकी बड़ी खुशी है कि आश्रममें तुम्हें शान्ति मिली। अवश्य ही हम, तुम दोनोंको अपने परिवारका सदस्य समझते हैं। तुम्हारी जब इच्छा हो या तुम जब आ सको तब आ जाना।

रामदास अच्छा लड़का है। वही दक्षिण आफ्रिका जा रहा है।[१] मुझे विश्वास है कि वह वहाँ अच्छा काम कर दिखायेगा। तैयारीके रूपमें वह यहाँ एक छापेखानेमें जा रहा है और कम्पोजिंगका अभ्यास कर रहा है।

मैंने तुम्हारे बारेमें काफी जान लिया है, इसलिए मुझे मालूम है कि तुम पूरा मन लगाकर अध्ययन करोगी और शीघ्र कामचलाऊ तमिल बोलने लगोगी।

जब तक चाहो नियमोंको[२] अपने पास रखो। उन्हें यहाँ भेजनेमें जल्दी करनेकी आवश्यकता नहीं है।

तुम्हारा,

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड
 
  1. १. देखिए “पत्र: नारणदास गांधीको”, १७-१-१९१७।
  2. ३. साबरमती आश्रम के सदस्यों के लिए बनाये गये नियम; देखिए “आश्रमके संविधानका मसविदा”, २०-५-१९१५।