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परिशिष्ट

दे दिया। तुमको देखा जायेगा। अब तुम्हारा [तुमको] नील लगाना होगा। तुमको चराईके लिए हर भैंस पीछे १२ आने, हर बैल पीछे ८ आने और हर गाय पीछे ४ आने देने पड़ेंगे। नहीं दोगे तो तुम्हारे मवेशी काँजीहाउसमें डाल दिये जायेंगे। जब साहेब आया, तब हीरा राय मौजूद था। हमने अभीतक मवेशी चरानेके लिए कुछ भी नहीं दिया है। हम सुनते रहे, कहा कुछ भी नहीं। उन्होंने अपने आदमियोंसे कुछ कहा और चले गये।

मो० क० गांधी द्वारा दर्ज और
आवश्यकतानुसार बाबू राजेन्द्रप्रसाद द्वारा
स्पष्ट किया गया बयान

(घ)

चेलाभरका मेरखुन तुरहा, वल्द परम तुरहा, उमर करीब २६ साल, शादी शुदा, एक पुत्रका पिता, ७ बीघे जमीन और ७ कट्ठे जिरात। उसने जिरात वापस कर दी है। उक्त बयानका समर्थन करता है।

मो० क० गांधी
बेतिया, १९ मई, १९१७

चेलाभरका शिवप्रसाद राय, वल्द प्रताप राय, पत्नी और ३ पुत्र, डेढ़ बीघा जमीन है, जिरात बिलकुल नहीं। उक्त बयातकी ताईद करना है।

मो० क० गांधी
बेतिया, १९ मई, १९१७

चेलाभरका शिवनन्दन, वल्द देवनारायण राय, उमर ३० साल, पत्नी-बच्चे नहीं, ४॥ बीघे जमीन है, २ कट्ठे जिरात वापस की है। उक्त बयानकी ताईद करत है।

मो० क० गांधी
बेतिया, १९ मई, १९१७

अमर राय, वल्द शिशुपाल राय, उमर २५ साल, पत्नी है, बच्चे नहीं, ४ बीघे जमीन है, ११॥ कट्ठे जिरात है। उक्त बयानकी ताईद करता है।

मो० क० गांधी
बेतिया, मई १९, १९१७

टाइप की अंग्रेजी प्रतिसे।

सौजन्य: गांधी स्मारक निधि