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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्री को

जहाज किनारेपर पहले लगाने के लिए कहा गया। सरकार यात्रियोंको सुरक्षाके लिए क्या करेगी, इस सम्बन्धमें उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला था। इस कारण उन्होंने निश्चय किया कि मुझे ही इसके लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने जहाजके अग्रभागमें तो यूनियन जैक (ब्रिटिश राज्यका झंडा) फहरवा दिया, और जहाजके मध्यमें झंडके मुख्य स्तम्भपर तथा पीछेके भागमें, नाविक लोगोंका यूनियन जैकसे अंकित लाल झंडा प्रदर्शित करवा दिया। उन्होंने अपने कर्मचारियोंको हिदायत कर दी कि वे यथाशक्ति किसी भी प्रदर्शनकारीको जहाजपर न आने दें, और यदि वे ऊपर चढ़ ही जायें तो यूनियन जैक उतार कर उन्हें सौंप दिया जाये। उनका खयाल था कि कोई भी अंग्रेज, इस प्रकार आत्मसमर्पण हो चुकनेपर, जहाजके यात्रियोंको सताने का प्रयत्न नहीं करेगा। परन्तु सौभाग्यवश, बादको जो-कुछ हुआ उसके कारण यह कार्रवाई करनी ही नहीं पड़ी। जब 'कूरलैंड' भीतर प्रविष्ट हुआ तब सबकी आँखें यह देखने को उत्सुक थीं कि प्रदर्शन क्या रूप धारण करता है। घाटके दक्षिणी किनारेसे उत्तरकी ओरको कुछ दूरतक कुछ लोग एक पंक्तिमें खड़े थे, परन्तु वे बड़ी शांतिसे काम लेते नजर आये। जहाजके भारतीय यात्री बहुत डरे हुए नहीं जान पड़े। श्री गांधी और कुछ अन्य यात्री जहाजकी छतपर खड़े देखते रहे। उनके चेहरोंसे घबराहटका कोई भाव प्रकट नहीं होता था। प्रदर्शनकारियोंकी मुख्य भीड़ जो बन्दरगाहको मुख्य गोदीमें खड़े जहाजोंपर एकत्र हो गई थी, भीतर आते हुए जहाजोंसे दिखलाई नहीं पड़ती थी। 'कूरलैंड', ब्लफ [टेकरी के मार्गपर घूम गया और वहाँ जाकर खड़ा हो गया। इससे भीड़को जो आश्चर्य हुआ वह उसकी हरकतोंसे प्रकट होता था। लोग इधरउधर दौड़ते-भागते नजर आते थे और उनकी समझमें बिलकुल नहीं आ रहा था कि आगेकी कार्रवाई कैसे करें। कुछ देर बाद सबके-सब अलेक्जेंड्रा-स्क्वेयरकी सभामें चले गये। जिस प्रदर्शनकी इतनी चर्चा थी उसका अन्तिम रूप जहाजवालोंने यही देखा। इसी समय, श्री एस्कम्ब एक छोटी नावमें सवार होकर, बन्दरगाहके कप्तान बैलार्ड, गोदीके अधिकारी श्री रीड, और मरिंग-मास्टर श्री सिम्पकिन्सके साथ, 'करलैंड' की बगलमें आये। अटर्नी-जनरलने कहा : 'कप्तान मिल्ने, मैं चाहता हूँ आप अपने यात्रियोंको बतला दें कि वे नेटालसरकारके कानूनोंके मातहत अपने-आपको वैसा ही सुरक्षित समझें, जैसेकि वे अपने खुदके ही गाँवोंमें हों।' कप्तानने पूछा कि क्या में यात्रियोंको उतरने दूं? श्री एस्कम्बने जवाब दिया, अच्छा हो कि आप पहले मुझसे मिल लें। यही बात उन्होंने 'नादरी' के लिए भी कही। बादमें वे सभामें भाषण करने के लिए तटपर ले जाये गये। 'कूरलैंड' और 'नारी' अगल-बगलमें, ब्लफके सवारीघाटपर लगा दिये गये। 'कूरलैंड' तटके अधिक समीप था।