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३९. पत्र : फर्दुनजी सोराबजी तलेयारखाँको

सेंट्रल वेस्ट स्ट्रीट
डर्बन (नेटाल)
२७ मार्च, १८९७

प्रिय श्री तलेया रखाँ,

आपके दो पत्रोंके लिए धन्यवाद। दूसरा तो इसी सप्ताह मिला है। खेद है कि समयकी कमीके कारण मैं लम्बा पत्र नहीं लिख सकता। मेरा करीब-करीब पूरा ध्यान भारतीय प्रश्नमें लगा है। हालकी घटनाओंके बारेमें श्री चेम्बरलेनके नाम प्रार्थनापत्र अगले सप्ताह तैयार हो जायेगा।[१] तैयार होनेपर मैं कुछ नकलें आपको भेजूँगा। उससे आपको सब जरूरी जानकारी मिल जायेगी।

आजकल नेटाल-संसदकी बैठकें हो रही है और तीन भारतीय-विरोधी विधेयक उसके विचाराधीन हैं। नतीजा मालूम होते ही लंदनमें प्रचारके लिए आपके कृपापूर्ण सुझावके सम्बन्धमें मैं आपको लिखूगा। इस समय जनताकी भावनाएँ जैसी हैं, उनमें आपका लोकसेवकके नाते नेटाल आना ठीक होगा या नहीं, यह प्रश्न है। नेटालमें ऐसे व्यक्तिका जीवन इस समय खतरेमें है। मुझे जरूर खुशी है कि आप मेरे साथ नहीं आये। संक्रामक रोग-सम्बन्धी संगरोध के नियम भी खास तौरसे ऐसे बना दिये गये है कि और भारतीयोंका आना रोका जा सके।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

{मूल अंग्रेजीसे; सौजन्य : रुस्तमजी फर्दुनजी सोराबजी तलेयारखाँ

  1. यह आगे पहुँचाने के लिए नेटालके गवर्नरके पास ६ अप्रैल को भेजा गया था, देखिए पृ॰ २६७।
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