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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सदस्योंकी रायमें मेरे राजनीतिज्ञ होनेके कारण नगरपालिका द्वारा मुझे अभिनन्दन-पत्र दिया जाना उचित न होगा । एक प्रकारसे वे ठीक कहते हैं, परन्तु उनके इन विचारोंमें आमूल परिवर्तनकी आवश्यकता है। मेरी इच्छा है कि नगरपालिकाएँ अपनी शक्तिको समझें और केवल बँधे-बँधाये कामोंको पूरा करनेकी मशीनें न बनी रहें । परन्तु लोगोंको यह बिलकुल नहीं सोचना चाहिए कि उन्होंने मेरे प्रति किसी वैमनस्यके कारण अभिनन्दन-पत्र नहीं दिया। अभीतक जो अभिनन्दन-पत्र मुझे या मौलाना शौकत अलीको दिये गये हैं वे प्रयागकी अपेक्षा छोटी नगरपालिकाओं द्वारा दिये गये हैं। बड़ो नगरपालिकाओंको एकाएक अपना ढंग बदलना कठिन हो जाता है ।

बहरहाल, हम लोगोंको इस मामलेपर ध्यान नहीं देना चाहिए और कांग्रेस द्वारा निर्धारित काममें जुटे रहना चाहिए। हम लोगोंको इसी वर्ष स्वराज्य लेना और खिलाफत और पंजाबके प्रति किये गये अन्यायका परिमार्जन कराना है। परन्तु यह केवल कान्फ्रेंसों, वक्तृताओं, कविताओं और अभिनन्दन-पत्रोंसे नहीं होगा। यदि इस प्रकार उद्देश्य प्राप्त करना सम्भव होता तो यह काम केवल कांग्रेसके जरिये ही हो जाता । एक समय ऐसा भी था कि सालमें एक बार कांग्रेस और कान्फ्रेंसके द्वारा कुछ माँगें सरकारके सामने पेश कर दी जाती थीं और हम लोग उतने ही से सन्तुष्ट हो जाते थे। यदि साल-भरमें सरकारने उनको पूरा न किया तो अगले सालके वार्षिक अधिवेशनमें फिर विरोधसूचक प्रस्ताव पास कर दिये जाते थे और मामला वहीं खत्म हो जाता था । परन्तु अब समय बदल गया है और लोगोंको अपने ही प्रयत्नोंसे अपने उद्देश्य पूरे करने हैं। कांग्रेसने एक व्यावहारिक कार्यक्रम उनके सामने रख दिया है और अब जनताको अपने उद्देश्य पूरे करनेके लिए उसपर अमल करना है।यदि हम लोग कान्फ्रेंसों, कविताओं और अभिनन्दन-पत्रों इत्यादिको छोड़ दें तो कोई हानि नहीं होगी; परन्तु यदि हम लोग कांग्रेसके कहनेपर नहीं चलेंगे तो कदापि स्वराज्य नहीं मिलेगा ।

अपने अभिनन्दन-पत्र में आप लोगोंने यह भी कहा है कि इलाहाबादका एक नाम और है--फकीराबाद । मेरी हार्दिक इच्छा यही है कि यह नगर पूर्ण रूपसे उस नामके योग्य हो । इस आन्दोलनको सफलीभूत बनानेके वास्ते फकीरों यानी धार्मिक मनुष्योंकी आवश्यकता है और मैं आशा करता हूँ कि इसमें आपका नगर अगुआई करेगा।

कांग्रेस चाहती है कि आप लोग तीन काम करें, अर्थात् कांग्रेसके १ करोड़ सदस्य बनाना; तिलक स्वराज्य-कोषके वास्ते १ करोड़ रुपया इकट्ठा करना; और भारतके घरोंमें २० लाख चरखे चलवाना। मैं यह जानना चाहता हूँ कि आप लोगोंने इनके लिए कितना काम किया है। पहले अंशके सम्बन्धमें मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जितने लोग यहाँ उपस्थित हैं वे सभी कांग्रेसके सदस्य हैं, परन्तु मैं चाहता हूँ कि आप लोग और अधिक कार्य करें और अपने नगरकी जनसंख्याके अनुसार उचित अंश चन्देमें इकट्ठा करके दें।'

१.पायनियरके १२-५-१९२१ के अंकमें प्रकाशित विवरणके अनुसार : "उन्होंने जानना चाहा कि इलाहाबाद जिले और नगरके कितने लोग कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं,और उन्होंने अनुरोध किया कि श्रोताओं में से ऐसे व्यक्ति सम्मेलनकी कार्रवाई समाप्त होने से पहले अपने नाम भेज दें ।"