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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


कोई लड़ाई नहीं है। वे खुदासे खौफ खानेवाले लोग हैं। कलकत्ता और बम्बईके कुछ हूश पठानोंको देखकर सारी अफगान जातिको वैसा ही समझनेकी भूल असहयोगियोंको कदापि नहीं करनी चाहिए। यह सोचना भी एक तरहका अन्धविश्वास ही है कि अगर सीमापर अंग्रेजी चौकी नहीं रही तो वे भारतमें घुस आयेंगे। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि अगर वे चाहें तो आज भी उन्हें भारतपर हमला करनेसे कोई रोक नहीं सकता। लेकिन उन्हें भी अपना देश उतना ही प्यारा है जितना हमें अपना देश। सीमापर रहनेवालों की कुछ कठिनाइयाँ जरूर हैं लेकिन उसके बारेमें तो मुझे अलगसे ही एक लेख लिखना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-५-१९२१

५३. हिन्दुओ सावधान

असहयोगके लिए बिहार कल्पतरुके समान है। बिहारकी हिन्दू-मुस्लिम एकता हमेशासे मशहूर रही है। इसीलिए मुझे यह देखकर बहुत दुःख हुआ कि वहाँ हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच तनाव पैदा हो गया है और तनाव भी इतना ज्यादा कि शायद उनकी एकता उसके सामने छोटी पड़ जाये। हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों ही के जिम्मेदार नेताओंने मुझसे कहा है कि दोनोंमें कोई झगड़ा खड़ा न होने पाये इसके लिए उनको एड़ी चोटीका जोर लगाना पड़ रहा है। वे सभी नेता ऐसे हैं जो आसानी-से होश - हवास नहीं खो सकते। उन्होंने मुझे बतलाया है कि गंगाराम शर्मा, भूतनाथ और विद्यानन्द वगैरह कुछ हिन्दुओंने लोगोंसे कहा था कि मैंने हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों ही के लिए मांस-मछलीकी मनाही कर दी है और उन जरूरतसे ज्यादा जोशीले शाकाहारियोंने लोगोंसे मांस-मछली छीन ली; और इसमें जोर-जबरदस्ती भी की गई थी। मैं जानता हूँ कि कई जगह मेरे नामका इस्तेमाल गैरकानूनी हरकतोंके लिए किया जा रहा है, लेकिन यह मिसाल उन सभीसे अनोखी है। आम तौरपर सभी जानते हैं कि मैं पक्का शाकाहारी हूँ और खाने-पीनेकी आदतोंमें सुधार करनेका हिमायती हूँ। लेकिन सभी लोग आम तौरपर यह नहीं जानते कि अहिंसा पशुओंपर जितनी लागू होती है उतनी ही मनुष्योंपर भी; और मैं मांस खानेवालों के साथ भी बिना किसी परहेजके उठता बैठता हूँ।

मैं एक गायकी जान बचानेके लिए किसी आदमीकी जान नहीं लूंगा, ठीक उसी तरह जिस तरह कि मैं एक आदमीकी जान बचानेके लिए किसी गायकी जान नहीं लूँगा। फिर चाहे उस आदमीकी जान कितनी ही बेशकीमती क्यों न हो। इसलिए यह बतलाने की जरूरत नहीं रह जाती कि मैंने किसीको भी असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम के साथ शाकाहारका प्रचार करनेकी अनुमति नहीं दी है। ऊपर जिन लोगोंके नाम गिनाये गये हैं मैं उनको नहीं जानता। मैं इतनी बात पक्की तौरपर जानता हूँ कि यदि किसी भी प्रचारके साथ हिंसा जुड़ गई तो हमारा उद्देश्य विफल हो जायेगा।