हम जो फेरफार कर रहे हैं उसे बन्द न करें। स्वराज्य मिलनेपर सरकारी अदालतों और स्कूलोंमें जाना अधर्म न समझें, सरकारकी ओरसे मान प्राप्त करनेमें अपमान न मानें।
नवजीवन, २२-५-१९२१
६२. पत्र : न० चि० केलकरको
येवला
२३ मई, १९२१
बेजवाड़ाका कार्यक्रम पूरा करनेके लिए मैं अत्यधिक व्यग्र होता जा रहा हूँ। क्या आप कृपया तार या पत्र द्वारा यह सूचित करेंगे कि पत्र या तार भेजने के दिन तक आपके प्रान्तने तिलक स्मारक [कोष] के लिए कितना धन जमा किया है और ३० जूनसे पहले आप निश्चित रूपसे कितना धन एकत्र होनेकी आशा रखते हैं? इन दोनोंके आँकड़ोंकी सूचना मुझे लैबर्नम रोडके पतेपर रविवार २९ तारीख तक मिल जानी चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि आपने अपना निर्धारित अंश अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको भेज दिया होगा।
मैं २९ को बम्बई पहुँच रहा हूँ, ३०की शामको वहाँसे भड़ौच के लिए प्रस्थान करूँगा। चार दिन वहाँ रहूँगा, चार दिन अहमदाबादमें या उसीके आसपास बिताऊँगा और फिर बाकी जून बम्बई में बिताऊँगा, ताकि अधिकसे-अधिक जितना चंदा मैं एकत्र कर सकता हूँ, करूँ। यदि मेरे कार्यक्रमके विषय में आपको कोई सुझाव देना हो तो कृपया उसके बारेमें भी तार दें।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
- ↑ नरसिंह चिन्तामण केलकर (१८७२-१९४७); राजनीतिज्ञ और साहित्यिक; तिलकके सहयोगी; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके मन्त्री रहे; १९२० में कांग्रेस संविधानके संशोधनमें गांधीजीकी सहायता की। स्वराज्यवादी दलके नेता।