पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/१६१

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१४० सम्पूर्ण गाधी वाङ्मय परे है जितने कि अली भाइयों जैसे हमारे बड़े-बड़े नेतागण, जिनके बारेमें कुछ लोगोंने अभी कुछ ही दिन पहले दुर्भावनापूर्ण प्रचार किया था। इस मामलेमें बदनामीके शिकार बननेवाले सज्जनोंने दो बड़ी-बड़ी सार्वजनिक सभाओमें हिसाब- किताब पेश किया था और कहा था कि जो भी चाहे वह उनके दफ्तरमें आकर हिसाब-किताब देखकर अपनी पूरी तसल्ली कर सकता है। इस मामलेको तभी बिलकुल खत्म हुआ मान लिया गया था। लेकिन आपके पत्रमें उसका हवाला देखकर यह बहस फिर शुरू हो गई है। मुझे भय है कि इससे हमारे विरो- घियोंको हमारे मान्दोलनपर पहलेसे कहीं ज्यादा जमकर कीचड उछालनेका मौका मिल जायेगा। महोषय, आपको ठीक-ठीक पता नहीं है कि हमारे विरोधीगण आपकी उक्तियो और लेखोंको (और आपके द्वारा अपने अनुयायियोको दी गई चेतावनियों और लिडकियोको) किस सरह तोड़-मरोड़कर एक दूसरी ही शक्लमें पेश करते है, और कैसे वे उनमें से कुछ असम्बद्ध, अलग-थलग वाक्य इत्यादि निकालकर असहयोगियोका मजाक बनाया करते है-ये काम सरकार या एंग्लो-पार्टी नही हमारे अपने ही भाई नरम बलके लोग करते है। ये लोग इस समय क्रूरताको सीमाका अतिक्रमण करनेपर तुले हुए है। हमारे विरोधी लोग हिन्द स्वराज्य' के कुछ वाक्यों, वासनाके सम्बन्धमें आत्म-संयम विषयक आपके लेख, को लेकर, या खालसाजीके नाम आपके या जनता द्वारा हिंसाको अपनानेपर आपकी हिमालय-वासकी धमकीको वातको लेकर अक्सर आन्दोलन और उसके अनुयायियोंका मजाक उड़ाया ही करते है और कराचीके सम्बन्धमें आपकी टोकाने उनके लिए और भी मसाला जुटा दिया है। आपने गवर्नरकी कराची यात्रा समय आयोजित हड़तालका समर्थन नहीं किया है और आपने लिखा है कि वे अच्छेसे-अच्छे गवर्नरोमें से है। महोदय, इस सम्बन्धमें मेरा कहना यह है कि हो सकता है उन्होने अम्बई या गुजरातकी कृतलता पाने लायक कोई काम किया हो या न किया हो पर सिन्धके लिए तो उन्होंने निश्चय ही ऐसा कोई काम नहीं किया कि सिन्वी लोग उनकी भूरि-भूरि प्रशंसामें आपका साथ दें। आज सिन्धमें जितना दमन चल रहा है, उसके साथ जितनी नुशंसता बरती वा रही है या लोगोंको जितना आतकित किया जा रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। मापको अपने ऊपर पूरा संयम है, लेकिन यदि आप अपनी सिन्ध-यात्राकै चन्द विनोमें सन्सूर, नवाबाद और थार गये होते और आपने वहाँ अपने कानोंसे पुलिस और अन्य सरकारी अफसरोंके रोंगटे खड़े कर देनेवाले अत्माचारोंको कहानियाँ वहाँके लोगोको जुबानी सुनी होती तो आपके संयमका बांध टूट जाता। महोदय, मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि आप उसके बाद इन गवर्नर साहबके बारेमें अपनी राय बदल देते। इन्हींके इशारोंपर वहां लोगोपर इतनी मुसीबतें लाई जा रही है। यही