पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/५२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४९६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उपाय है। आप लोग संयुक्त प्रान्तकी सरकारकी ज्यादतियोंको देखिए। यह सूबा इस दमन नीतिमें अन्य सूबोंसे बढ़ा-चढ़ा है। किन्तु फिर भी मैं शान्तिपूर्वक रहनेके लिए ही आप लोगोंसे कहूँगा। यदि आप लोग पचास हजार ऐसे काम करनेवालों की एक फौज तैयार कर लें जो स्वतन्त्रताकी रक्षाका फाटक बननेको तैयार रहे तो मैं आशा करता हूँ कि संसारकी कोई फौज इसे न हरा सकेगी, और तीन ही महीनेके अन्तमें या तो इस सरकारको सुधार देगी या समाप्त कर देगी। मेरा फिरसे यही कहना है कि हिन्दू मुसलमानोंकी एकतापर बड़ा ध्यान रखना चाहिए। दोनोंसे मेरा यही कहना है कि एक दूसरेके साथ सहानुभूति रखें। आनेवाली बकरीदपर कोई दंगा न होने पाये। हिन्दुओंसे मेरा यह कहना है कि यदि वे गौओंको बचाना चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि बिना किसी विचार या लालचके खिलाफतके मामलेमें मुसलमानोंकी मदद करें।

आज, १०-८-१९२१
 

२४३. काठियावाड़के राजा-महाराजाओंसे

लखनऊ
सोमवार, श्रावण [८ अगस्त, १९२१]

महोदय,

मैंने कई बार आपको दो शब्द लिखनेका विचार किया; किन्तु लिखा नहीं। किन्तु कुछ बातें सुनकर और जानकर अब मैं अपने विचार आपके सामने रखना अपना धर्म समझता हूँ।

कदाचित् आपसे यह कहना कि काठियावाड़से मेरा घनिष्ठ सम्बन्ध है, अनावश्यक है। किन्तु वहाँ जन्म लेनेके कारण ही मैं काठियावाड़से बँधा हुआ नहीं हूँ। वहाँके तीन-तीन राज्योंमें मेरे पिताश्रीने मुख्य मन्त्रीकी तरह काम किया था। मेरे चाचाने एक राज्य में और दूसरेमें मेरे पितामहने भी यही पद सँभाला था। गांधी परिवारके अनेक व्यक्तियोंने काठियावाड़के राज्योंमें नौकरी करके निर्वाह किया है। इसलिए मेरा आपसे विशेष नाता है। आपके प्रति मेरा विशेष कर्त्तव्य है।

अतएव मैं जब काठियावाड़के किसी भी राज्यकी स्वेच्छाचारिताके विषयमें कुछ सुनता हूँ, तब मेरे हृदयको बड़ा दुःख होता है। काठियावाड़को मैं शूरवीरोंकी भूमि समझता हूँ और मैं यह आशा लगाये हूँ कि स्वराज्य-यज्ञमें काठियावाड़ अपना पूरा हिस्सा अदा कर अपना तथा भारत-भूमिका मुख उज्ज्वल करेगा।

'स्वराज्य' शब्दको सुनकर आप चौंकिए नहीं। मैं चाहता हूँ कि 'स्वराज्य' और 'असहयोग' इन नामोंसे आप न चौंके। जो लोग यह कहते हैं कि यह आन्दोलन तो अराजकता और राजद्रोह फैलानेवाला है, इससे देशका सत्यानाश हो जायेगा, उन्हें ऐसा कहने दीजिए। परन्तु यह मानकर कि वे अज्ञानवश ऐसा कहते हैं अपने मित्रोंके सामने भी मेरी स्थिति स्पष्ट कीजिए।