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६३. पत्र : सिडनी बर्नको[१]
[ १८ सितम्बर, १९२१ के पश्चात् ]
महोदय,
आपका १८ तारीखका लिखा हुआ पत्र मिला। चेट्टिनाड जाते हुए रास्ते में पुडुकोट्टाई राज्यसे गुजरनेका मेरा इरादा था। परन्तु आपके पत्रको[२] ध्यान में रखते हुए मैं अब दूसरे रास्ते से होकर जाऊँगा।
आपका,
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७६१८) की फोटो-नकलसे।
६४. पत्र : मथुरादास त्रिकमजीको
त्रिचनापल्ली
मौनवार, १९, सितम्बर, १९२१
शान्तिका पाठ सीखे बिना हिन्दू-मुसलमान कभी एक नहीं हो सकते। अहमदाबादमें स्वतंत्रताकी घोषणा करने की बातपर मैंने ध्यान ही नहीं दिया है। वैसा करने योग्य हमारे पास बल ही नहीं है। और जहाँ बल ही न हो वहाँ बात करनेसे क्या लाभ? यदि हममें बल हो तो मैं स्वतन्त्रताकी घोषणा करनेके लिए अवश्य सहमत हो जाऊँ।
[ गुजरातीसे ]
बापुनी प्रसादी
बापुनी प्रसादी