११. पत्र : महादेव देसाईको
सिलचरके रास्तेपर
शनिवार [ २७ अगस्त, १९२१ ]
कांग्रेस द्वारा बताई गई असमकी हृदको आज छोड़कर हम अब सुरमा घाटीमें प्रवेश कर रहे हैं। दृश्यावली भी बदल गई है। ब्रह्मपुत्रकी यात्रामें हमने तुम्हें काफी याद किया। लेकिन क्या हम अपने मनचाहे भोजनको हमेशा प्राप्त कर सकते हैं, या खा ही सकते हैं ? तुम्हारी ओरसे कोई भी पत्र नहीं मिला है। वस्तुतः गोहाटी छोड़ने के बाद हमें डाक मिली ही नहीं और ऐसी आशंका है कि अभी कलकत्ता पहुँचनेसे पहले मिलेगी भी नहीं। वहाँ तो मुश्किलसे चार तारीखतक ही पहुँचेंगे। अन्नपूर्णा देवीका पता है : चतापारु, एलौर, मद्रास प्रान्त।
एस्थर फैरिंगका[२] पता याद हो तो लिख भेजना। तुम्हारे स्वास्थ्य के बारे में समाचार जाननेको आतुर हूँ।
बापूके आशीर्वाद
१२. तार : सरदार वल्लभभाई पटेलको
सिलहट
आसाम
३० अगस्त, १९२१
इष्ट दिन[३] समीप आ रहा है। गुजरात में उस दिन हड़ताल करायें। मजदूरोंको चाहिए कि वे अनुमति लेकर शरीक हों। बुधवार और बृहस्पतिवारको चटगाँव रहूँगा। शनिवारको बारीसालमें। इतवारको व उसके बाद कलकत्ता।
बापुना पत्रो - २ : सरदार वल्लभभाईने