अभियान प्रारम्भ करनेके प्रश्नका निपटारा उक्त समितिके विचारके अनुसार करना चाहिए।”
२. परसों अन्य प्रश्नोंके साथ-साथ प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीकी कार्य-समिति द्वारा २५ तारीखको पास किये गये लगानबन्दी विषयक प्रस्तावपर विचार करनेके लिए गुण्टूर कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई।...जिलेके विभिन्न ताल्लुकोंके प्रमुख रैयत लोग और कुछ कांग्रेसी कार्यकर्त्ता भी बैठकमें शामिल हुए। अपने-अपने ताल्लुकों और फिरकों की स्थिति बतानेको कहनेपर प्रतिनिधि रैयतोंने जनता के बीच आन्दोलनकी प्रगतिका विवरण प्रस्तुत किया। अधिकांश प्रतिनिधियोंने तमाम कठिनाइयोंके बावजूद अभियानको जारी रखनेका पक्का इरादा जाहिर किया। किन्तु कुछ थोड़े-से सदस्योंने यह विचार भी व्यक्त किया कि उनके फिरकों में दिल्लीके प्रस्तावमें निर्धारित शर्तोंका पूरी तरहसे पालन नहीं किया गया, और अस्पृश्यता के मामले में और भी तैयारी करनी जरूरी है। एक-दो फिरकोंमें तो अहिंसाकी दृष्टिसे भी जनता में कुछ और सुधार करनेकी जरूरत बताई गई। श्री प्रकाशम्ने[१] बैठकमें भाषण दिया, जिसमें उस जिलेके लोगों द्वारा उठाये ये कदम के साथ जुड़ी जिम्मेदारीपर कुछ विस्तारसे प्रकाश डाला। उन्होंने २६ तारीखके[२] ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ में प्रकाशित लगानबन्दीके सम्बन्धमें लिखे महात्माजीके पत्रसे उद्धरण दिये और श्रोताओंको वह पत्र समझाया। श्री वेंकटप्पाने बताया कि यह सब कहने की जरूरत, उनके नाम लिखे महात्माजीके पत्र और उस पत्रके बाद दोनोंके बीच हुए आगके पत्र-व्यवहारके कारण पड़ी। उन्होंने कहा कि दिल्लीके प्रस्तावका सम्बन्ध ऐसे क्षेत्रोंसे है, जहाँ काफी गहरी तैयारी हो चुकी हो।...
गुण्टूर जिलेमें सविनय अवज्ञा तथा लगानबन्दी और ग्राम-अधिकारियोंके पदत्यागका अभियान चल रहा है। वहाँकी वस्तुस्थितिको देखते हुए मद्रास- सरकार (१८६४ का२) मद्रास राजस्व―उगाही―अधिनियम में संशोधन करनेके लिए आपात् विधानका विचार कर रही है। संशोधनका मुख्य उद्देश्य वर्तमान अधिनियम के अन्तर्गत लगान न देनेवालों की जायदादकी जब्ती और उसकी नीलामीके बीच जो समय दिया जाता है, उसे समाप्त करके लगान न देने वाले रैयतकी जायदादको तत्काल नीलामीकी व्यवस्था करना है। सरकार प्रशासनिक तौरपर कुछ और कदम भी उठायेगी। उदाहरणके लिए, वह आज्ञाका