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भाषण: बारडोली ताल्लुका सम्मेलन में

 

प्र०: राज्य कर्मचारी हमारी माल-मिल्कियत ले जायें, यह सहन किया जा सकता है; किन्तु यदि वे हमारी बहू-बेटियोंपर अत्याचार करें तो?

उ०: अपने ऊपर और मानव-जातिमें हमारा विश्वास नहीं रहा है। यद्यपि स्वयं मेरी अवस्था ऐसी है कि मुझे पन्द्रह सालका लड़का भी गिरा सकता है; किन्तु मैं अपनी पत्नी के साथ इसीलिए रहता हूँ कि मुझमें उसकी रक्षा करनेकी शक्ति है। मैं किसी भी युवा मनुष्यको या काबुलीको चुनौती देता हूँ कि वह मेरी पत्नीकी लाज लूटने के लिए आये। मुझमें अपने प्राणोंकी आहुति देनेका साहस है और जबतक किसी में आत्मबलिदानकी यह क्षमता हो तबतक उसे किसी भी प्रकार डरनेकी जरूरत नहीं है। आप कहेंगे, यदि कोई हमारे हाथ-पैर बाँध दे तो? हमारे ऊपर पिस्तौल तानकर खड़ा हो जाये तो? पिस्तौलधारी लोग पिस्तौल सही-सलामत होनेपर भी लुटे हैं और उनकी लाज गई है। रक्षाके लिए पिस्तौल नहीं, छाती चाहिए।[१]

१. जैसा कि मैंने समझाया क्या आप हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों और ईसाइयोंकी मित्रताको धर्म समझते हैं?

२. भारतकी वर्तमान स्थितिको देखते हुए स्वराज्य प्राप्त करने और खिलाफत और पंजाबके मामले में न्याय प्राप्त करनेका मार्ग एक ही है और वह है शान्तिका मार्ग, जो ऐसा मानता हो वह हाथ उठाये।

३. जो भाई और बहन यह मानते हों कि स्वदेशीको अपनाये बिना भारतकी उद्देश्य सिद्धि न होगी, और जो विदेशी या कारखानोंके बने कपड़ेका त्याग करने एवं ५ फरवरीके बाद बारडोली ताल्लुकेसे बाहरकी बनी खादी न पहनने के लिए कृत-संकल्प हैं वे अपने हाथ उठायें।

४. क्या आप अस्पृश्यताको अधर्म मानते हैं और अन्त्यजोंके बालकोंको राष्ट्रीय शालाओं में अपने बच्चोंके साथ बिठानेके लिए तैयार हैं?

५. आपकी जमीन और खेत, ढोर-डंगर और माल-मिल्कियत जब्त कर लिये जायें और आप भिखारी हो जायें तो उसकी भी परवाह न करते हुए क्या आप भारतकी लाज बचाने के लिए अक्रोधभावसे सर्वस्व गँवाने और जेल जानेके लिए तैयार हैं?

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २-२-१९२२
 
  1. यहाँ गांधीजीने सवाल पूछे जानेके लिए इन्तजार किया। फिर उन्होंने प्रतिनिधियोंकी तैयारीकी जाँच करनेके उद्देश्यसे इसके बाद दिये गये प्रश्न पूछे।